tag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post2878362819088648158..comments2023-12-23T15:26:22.373+05:30Comments on 'विचार प्रवाह': बहा के उनका सामान ......PRIYANKA RATHOREhttp://www.blogger.com/profile/05173622889571039240noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-81935709877499268082011-04-09T17:10:53.721+05:302011-04-09T17:10:53.721+05:30जीवन की सच्चाई यही है !
सुन्दर अभिव्यक्ति !जीवन की सच्चाई यही है !<br />सुन्दर अभिव्यक्ति !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-88157706229696437992011-04-09T14:57:51.612+05:302011-04-09T14:57:51.612+05:30बहा के उनका सामान दरिया में
सोचा था मुक्त हो जाऊँग...बहा के उनका सामान दरिया में<br />सोचा था मुक्त हो जाऊँगी<br />अहसासों के दलदल से .<br />लेकिन यह तो वह आग है<br />जो न जलती है ना बुझती है<br />बस सुलगती जाती है .....<br /><br />बहुत सारगर्भित बात कह दी आप ने<br />बहुत सुन्दर<br />बहुत - बहुत धन्यवादलाल कलमhttps://www.blogger.com/profile/10463937302054552696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-34392409392854549842011-04-07T16:11:25.024+05:302011-04-07T16:11:25.024+05:30खूबसूरती से लिखे एहसास, अच्छी रचनाखूबसूरती से लिखे एहसास, अच्छी रचनाहरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-76409900125817160352011-04-06T11:28:19.548+05:302011-04-06T11:28:19.548+05:30आखिरी पंक्तियों की उपमा दिल को छू लेने वाली है.......आखिरी पंक्तियों की उपमा दिल को छू लेने वाली है......यतार्थ परक है ये पंकितियाँ...प्रशंसनीय |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-54958282608187695472011-04-05T23:15:27.363+05:302011-04-05T23:15:27.363+05:30खूबसूरती से लिखे एहसास ...कहाँ हो पाता है मुक्त क...खूबसूरती से लिखे एहसास ...कहाँ हो पाता है मुक्त कोई ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-28719140263564530942011-04-05T20:22:31.720+05:302011-04-05T20:22:31.720+05:30प्रिय प्रियंका
बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में क...प्रिय प्रियंका <br />बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में कहा गया है... अच्छी रचनासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-84364255582325973.post-83967988101995411652011-04-05T18:17:54.385+05:302011-04-05T18:17:54.385+05:30बहा के उनका सामान दरिया में
सोचा था मुक्त हो जाऊँग...बहा के उनका सामान दरिया में<br />सोचा था मुक्त हो जाऊँगी<br />अहसासों के दलदल से .<br />लेकिन यह तो वह आग है<br />जो न जलती है ना बुझती है<br />बस सुलगती जाती है .....<br />bahut hi badhiyaaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com