वो बारिश ....
कल रात फिर
तेज बारिश हुयी थी ,
और
बूँद बूँद से टपकते तुम
मेरे अहसासों को
पूरा तर कर गए |
अब -
सुबह गीली है ,
आत्मा की नमी
बिस्तर के सिरहाने पड़ी है |
दिमाग का सूरज
अहसासों के बादल से बाहर
नहीं आना चाहता ,
आज फिर मुझे
'तुम' होकर ही दिन गुजारना होगा |
प्रियंका राठौर
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteआभार :)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (24-07-2014) को "अपना ख्याल रखना.." {चर्चामंच - 1684} पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यबाद ... सर ।
Deleteआभार ।
आज फिर मुझे
ReplyDelete'तुम' होकर ही दिन गुजारना होगा |
बारिश की टप टप में तुम्हारी याद बरसाती बूंदों की तरह टपक ही जाती है जेहन में। ............. बहुत बढ़िया
धन्यवाद मैम :)
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