बहुत खूब दहक है स्वर्ण सी पलाश सी प्रेम के खुमार की .बहुत सुन्दर प्रतीक विधान ,संक्षिप्त ,सुन्दर .
जब पड़ा था पहला कदम तुम्हारा मेरे आँगन में ,तब -वो फूल ही तो थे पलाश के ,जो बिखरे थे मेरे आँचल में .पलाश के फूलों की तरह आपने फिजा में आग लगा दी।
सुंदर
उन पलाश के रंगों की क्षटा यूं ही बनी रहे ...
बहुत सुन्दर...
वाह ... बेहतरीन
आप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद ... आभार
भावों के गुथे हुए मोती
बहुत खूब!
बहुत खूब दहक है स्वर्ण सी पलाश सी प्रेम के खुमार की .बहुत सुन्दर प्रतीक विधान ,संक्षिप्त ,सुन्दर .
ReplyDeleteजब पड़ा था
ReplyDeleteपहला कदम तुम्हारा
मेरे आँगन में ,
तब -
वो फूल ही तो थे
पलाश के ,
जो बिखरे थे
मेरे आँचल में .
पलाश के फूलों की तरह आपने फिजा में आग लगा दी।
सुंदर
ReplyDeleteउन पलाश के रंगों की क्षटा यूं ही बनी रहे ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद ... आभार
ReplyDeleteभावों के गुथे हुए मोती
ReplyDeleteबहुत खूब!
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