न होने से
क्या जिन्दगी
रुकी है कभी
वह तो बस
चलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .....
अगर मिल गयी
जिन्दगी की ताल
से चाल
दुनिया मुट्ठी में
अन्यथा -
यूँहीं ढुलके हुए
बेजान लट्टू
की तरह
फिर किसी हाथ
और किसी डोरी
के इंतजार में ......
जिन्दगी तो बस
चलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .......
प्रियंका राठौर
जिन्दगी तो बस
ReplyDeleteचलती है
चलती जाती है...bahut sahu, yahi satya hai
ज़िन्दगी एक रफ़्तार से चलती रहे।
ReplyDeleteअगर मिल गयी
ReplyDeleteजिन्दगी की ताल
से चाल
दुनिया मुट्ठी में
अन्यथा -
यूँहीं ढुलके हुए
बेजान लट्टू
की तरह
गहन चिंतन ... ज़िंदगी चलती रहती है ..चाहे किसी भी चाल से
जिन्दगी तो बस
ReplyDeleteचलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .......
bahut sundar abhivyakti.badhai priyanka ji.
बहुत उम्दा!!!!
ReplyDeleteजिंदगी तो अपनी रफ्तार से चलती ही जाती है ...
ReplyDeleteजीवन का पहिया अनवरत चलता है , चलता रहे ...
शुभकामनायें !
बहुत सुंदर प्रियंका
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (02.07.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
@satyam ji....bahut bahut dhanybad....
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut dhanybad....aur aabhar...
ReplyDeleteसही कहा आपने ज़िंदगी चलते रहने का नाम है ! सुंदर अतिसुन्दर , बधाई
ReplyDeleteयूँ हीं ढुलके हुए
ReplyDeleteबेजान लट्टू
की तरह
फिर किसी हाथ
और किसी डोरी
के इंतजार में ....
एकदम सचबयानी...बहुत सुन्दर
किसी के होने
ReplyDeleteन होने से
क्या जिन्दगी
रुकी है कभी
वह तो बस
चलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .....bilkul sach baat kahdi aapne jindagi ke baare main.bahut hi saarthak rachnaa,gahan abhibyakti.badhaai sweekaren.
please visit my blog.thanks.
bahut achchhi rachna .
ReplyDeleteसुन्दर रचना.....
ReplyDeleteजीवन दर्शन .....जिंदगी का
बस चलती का नाम जिंदगी
जिन्दगी तो बस
ReplyDeleteचलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .......
bas yahi to sabse bada sach hai.....
किसी एक के होने न होने से जिंदगी रूकती नहीं,
ReplyDeleteचलती रहती है..
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकिधर से शुरू करून, किधर से ख़तम करून |
ReplyDeleteजिन्दगी का फ़साना, कैसे तेरी नज़र करून |
है ख्याल जिन्दगी का, कैसे मुनव्वर करून |
मगरिब के जानिब खड़ा, कैसे तसव्वुर करून |
do poem padhaa dono achchhii lagi
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