जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ,
जिसको देखा,
उसको अपनाया,
बूँद बूँद से ,
संसार बसाया ....
इस जोड़ने
और घटाने के क्रम में ,
कहीं अंतस ने -
एक अहसास जगाया
है तो सब कुछ
इस संसार में
फिर भी न जाने क्यों
कुछ है कम सा ....
जीवन है ,
लोग हैं ,
सुख - दुःख और
हैं खुशियाँ ,
फिर क्या -
ये क्षीण सा आभास है ...
तभी -
दस्तक हुयी
तेरी यादों की .....
हाँ -
यही तो कम है -
सब कुछ है
इस संसार में -
पर -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
हाँ -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ...................!!
प्रियंका राठौर
दस्तक हुयी
ReplyDeleteतेरी यादों की .....
हाँ -
यही तो कम है
जो कम था वह मिल गया | सुंदर अभिव्यक्ति.....
सब कुछ है
ReplyDeleteइस संसार में -
पर -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
हाँ -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
bahut achhi rachna..
mere blog me bhi aaye..
क्या लिखा है आपने....शानदार.
ReplyDeleteसादर
दस्तक हुयी
ReplyDeleteतेरी यादों की .....
हाँ -
यही तो कम है -
सब कुछ है
इस संसार में -
पर -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
हाँ -
तेरी ही कमी बड़ी है ....bahut badhiyaa
वाह वाह बहुत ही शानदार रचना सुन्दर भावो से भरी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeletevery well said Priyanka ji suc a wonderfull through,kahan se lati hain aap etne sunder ehesas weldon..keep writting nd keep in touch pls
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर,
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपकी रचनाओ से आपके कोमल होने का पता लगता है. दिल की गहरैयो से निकली ये रचना ने दिल छू लिया.
ReplyDelete--------------------------------------------
क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?
बाबा का अनशन टुटा !
बहुत सुंदर प्रियंका
ReplyDeleteप्रिय प्रियंका
ReplyDeleteक्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
तेरी ही कमी है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeletewell said.
सच है ... किसी एक के न होने से बहुत कुछ खाली सा लगता है ... एकाकी हो जाता है मन ...
ReplyDeleteकभी एक इंसान की कमी रहने पे लगता है ऐसे जैसे पूरी दुनिया ही सुनसान हो गयी...
ReplyDeleteगुलज़ार साहब कहते हैं -
ReplyDeleteतेरी सूरत जो भरी रहती है, आंखों में सदा
अजनबी लोग भी पहचाने से लगते हैं मुझे
तेरे रिश्तों में तो दुनिया ही पिरो ली मैंने।
दस्तक हुयी
ReplyDeleteतेरी यादों की .....
प्रियतम को अब
तरसे नैना |
कितने लम्बे-
अरसे नैना ||
हौले - हौले
बरसे नैना
है तो सब कुछ
ReplyDeleteइस संसार में
फिर भी न जाने क्यों
कुछ है कम सा ....
aisa hi hota hai aksar
jo nahi hota saamne
koi bhi wastu ya shaks
par uske milne baad
nahi lagta kuchh aisa bhi
ki haan,
uski aur jarurat hai.....
बहुत ही खुबसूरत एहसासों से भरी रचना... बहुत ही सुंदर....
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