Monday, June 13, 2011

तेरी ही कमी ......






जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ,
जिसको देखा,
उसको अपनाया,
बूँद  बूँद से ,
संसार बसाया ....
इस जोड़ने 
और  घटाने के क्रम में ,
कहीं अंतस ने -
एक अहसास जगाया 
है तो सब कुछ 
इस संसार में 
फिर भी  न जाने क्यों 
कुछ है कम सा ....
जीवन है ,
लोग हैं ,
सुख - दुःख और 
हैं खुशियाँ ,
फिर क्या -
ये क्षीण  सा आभास है ...
तभी -
दस्तक हुयी 
तेरी यादों की .....
हाँ -
यही तो कम है -
सब कुछ है 
इस संसार में -
पर -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
हाँ -
तेरी ही कमी बड़ी है .....

जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ...................!!





प्रियंका राठौर  

20 comments:

  1. दस्तक हुयी
    तेरी यादों की .....
    हाँ -
    यही तो कम है
    जो कम था वह मिल गया | सुंदर अभिव्यक्ति.....

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  2. सब कुछ है
    इस संसार में -
    पर -
    तेरी ही कमी बड़ी है .....
    हाँ -
    तेरी ही कमी बड़ी है .....

    bahut achhi rachna..
    mere blog me bhi aaye..

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  3. क्या लिखा है आपने....शानदार.

    सादर

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  4. दस्तक हुयी
    तेरी यादों की .....
    हाँ -
    यही तो कम है -
    सब कुछ है
    इस संसार में -
    पर -
    तेरी ही कमी बड़ी है .....
    हाँ -
    तेरी ही कमी बड़ी है ....bahut badhiyaa

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  5. वाह वाह बहुत ही शानदार रचना सुन्दर भावो से भरी।

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  6. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  7. very well said Priyanka ji suc a wonderfull through,kahan se lati hain aap etne sunder ehesas weldon..keep writting nd keep in touch pls

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. आपकी रचनाओ से आपके कोमल होने का पता लगता है. दिल की गहरैयो से निकली ये रचना ने दिल छू लिया.
    --------------------------------------------
    क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?

    बाबा का अनशन टुटा !

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  10. प्रिय प्रियंका
    क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.

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  11. तेरी ही कमी है ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  12. बहुत सुंदर.
    well said.

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  13. सच है ... किसी एक के न होने से बहुत कुछ खाली सा लगता है ... एकाकी हो जाता है मन ...

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  14. कभी एक इंसान की कमी रहने पे लगता है ऐसे जैसे पूरी दुनिया ही सुनसान हो गयी...

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  15. गुलज़ार साहब कहते हैं -
    तेरी सूरत जो भरी रहती है, आंखों में सदा
    अजनबी लोग भी पहचाने से लगते हैं मुझे

    तेरे रिश्तों में तो दुनिया ही पिरो ली मैंने।

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  16. दस्तक हुयी
    तेरी यादों की .....

    प्रियतम को अब
    तरसे नैना |
    कितने लम्बे-
    अरसे नैना ||


    हौले - हौले
    बरसे नैना

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  17. है तो सब कुछ
    इस संसार में
    फिर भी न जाने क्यों
    कुछ है कम सा ....


    aisa hi hota hai aksar
    jo nahi hota saamne
    koi bhi wastu ya shaks

    par uske milne baad
    nahi lagta kuchh aisa bhi
    ki haan,
    uski aur jarurat hai.....

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  18. बहुत ही खुबसूरत एहसासों से भरी रचना... बहुत ही सुंदर....

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