वक्त के चेहरे पर
फेकी हुयी रंगीन स्याही सी ,
7गुणा 7 नाप की
चाँद की तस्वीर ,
तुम्हारे दिल के फ्रेम में
ऐसी फिट है
जिसमे कम या ज्यादा की
कोई गुंजाईश नहीं .......
मगर अफ़सोस -
उन रंगों को
देख पाना तुम्हारे लिए
मुमकिन नहीं -
क्योकि -
तुम्हारी नजरें
सिर्फ श्वेत श्याम ही ,
देख पाती हैं...................... !!!!!!!
प्रियंका राठौर
nice
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...................
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब कभी कभी हम अपने दायरे से बाहर निकलना ही नहीं चाहते
ReplyDeleteदेख पाना तुम्हारे लिए
ReplyDeleteमुमकिन नहीं -
क्योकि -
तुम्हारी नजरें
सिर्फ श्वेत श्याम ही ,
देख पाती हैं....
दायरा तेरा मेरा क्यूँ ,मेरा तेरा न बन सका
बेहतरीन कृति!
ReplyDeleteगहन भाव... सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteगहन भावों की सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
जीवन का हर रंग देखने की समझ हर किसी में नहीं होती ... उसके लिए प्रेम, विश्वास, संवेदना की जरूरत होती है ...
ReplyDeleteकमाल के शब्द, कमाल की भावनाएं...बधाई.
ReplyDeleteWah great lines
ReplyDeleteYe khule vicharo ka sansar h sankirnta ate hi sub dhuldhla jata h
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