अनिश्चितता की भी
सीमा होती है ....
अनुमानों का गुबार
या फिर
स्थायित्व के खरे मापदंड
दिशा सूचक रूप में
अनिश्चितता को भी
निश्चित स्थापित करते हैं ....
जुएँ के पत्ते
तभी तक
अनिश्चित होते हैं
जब तक बिना बांटें
गड्डी के रूप में
नियति के हाथ होते हैं ...
खिलाड़ियों के बीच
बँट जाने पर
अनिश्चितता पर विराम
लग जाता है
और -
निश्चित सत्य की ओर
बढ़ते हुए
कदम दर कदम
स्थायित्व के दिशा सूचक
अन्तत :
किसी की विजय श्री का
उद्घोष करते हैं ....
शायद ..... इसलिए -
अनिश्चितता के घर भी
उम्मीदों के दीये जलते हैं ....
क्योकि -
अनिश्चितता की भी
सीमा होती है .....!!!!!!
प्रियंका राठौर
good...
ReplyDeletewell said!!!!
shreshth bhaav sanyuqt gahan rachna.bahut sundar shubhkamnaayen.
ReplyDeleteशायद ..... इसलिए -
ReplyDeleteअनिश्चितता के घर भी
उम्मीदों के दीये जलते हैं ....
क्योकि -
अनिश्चितता की भी
सीमा होती है .....
THIS THE TRUTH OF LIFE .
EK SHASHWAT SATYA EK YATHRTH.
SO THERE IS LIGHT OF LIFE .
NICE POST WITH TRUE FEELINGS.
SORRY YATHARTH.
ReplyDeleteशायद ..... इसलिए -
ReplyDeleteअनिश्चितता के घर भी
उम्मीदों के दीये जलते हैं ....
बहुत बढ़िया है प्रतीक और बिम्ब विधान , परिधान .आज की शाम को पंख लग गए यह बेहतरीन कविता पढके .बधाई.
कृपया यहाँ भी पधारें -
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
टी वी विज्ञापनों का माया जाल और पीने की ललक
अनुमानों का गुबार
ReplyDeleteया फिर
स्थायित्व के खरे मापदंड
दिशा सूचक रूप में
अनिश्चितता को भी
निश्चित स्थापित करते हैं ....सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....
क्योकि -
ReplyDeleteअनिश्चितता की भी
सीमा होती है .....!!!!!!
सशक्त भावों की अभिव्यक्ति,बहुत सुंदर रचना,..
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
बहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteशायद ..... इसलिए -
ReplyDeleteअनिश्चितता के घर भी
उम्मीदों के दीये जलते हैं ....
क्योकि -
अनिश्चितता की भी
सीमा होती है .....!!!!!!Exactly absolutely correct... :)very well said...
बहुत सुन्दर भाव ,खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteभावनाओं कि अभिव्यक्ति कैसे कि जाती है ये तुमसे बेहतर कहीं नहीं देखा तुम्हे जो कहना होता है अपनी आँखों से कह देती हों और शायद हमें अब उन आँखों कि गहराई को पढना भी आ गया है |
ReplyDeletewww.utkarshita.blogspot.com