क्या भूलूं
कैसे भूलूं ....
वो ऐतबार की बातें
वो इंतजार की रातें .......
तुम्हारा हक
तुम्हारा डांटना
और फिर
प्यार से
समेटना आंसुओं को .....
क्या भूलूं
कैसे भूलूं ....
स्तब्ध हूँ
ठगी सी हूँ
सोचकर ये
क्यों हैं राहें अब
जुदा - जुदा
साथ था चलना
हमसफ़र था बनना
फिर क्यों
वो अतृप्त सी बातें
वो अनकही सी यादें .....
क्या भूलूं
कैसे भूलूं
वो हमराज सी बातें
वो मीठी सी रातें ....
यादों की धुंध में
गोल - गोल
छल्ले बनती हूँ
कुछ भूले बिसरे
अहसासों में
जब दिखता है
बिम्ब तुम्हारा
रूह की जगह
जिस्म की ओर
जाते हुए
सिहरती हूँ ,
प्रस्तर सी हो
जाती हूँ ....
क्या भूलूं
कैसे भूलूं
वो दर्द भरी बातें
वो आंसुओं की रातें .....
जलती है
अब भी
खुद के अन्दर
मर्यादा की चिंगारी
तप - योग के
वचनों में
आत्मा ही खो
जाती है ...
खामोश हूँ
शून्य हूँ
फिर भी
सतीत्व की कीमत पर
साथ नहीं अब
चल पाती हूँ .....
क्या भूलूं
कैसे भूलूं
वो दावाग्नि सी बातें
वो झुलसती सी रातें .........!!!!!
प्रियंका राठौर
कुछ भूलने की कोई ज़रूरत भी नहीं है सब याद रखिये ...ताकि वक़्त पर काम आ सकें वो बाते।
ReplyDeleteसादर
कुछ मत भूलो ...!!बस यूँ ही लिखती रहो...
ReplyDeleteThat is a lovely article. And I love the work too, courtesy the picture. I am dialing for you guys to get my house done next!
ReplyDeleteIn a Hindi saying, If people call you stupid, they will say, does not open your mouth and prove it. But several people who make extraordinary efforts to prove that he is stupid.Take a look here How True
kuch bhi bhulna aasaan nahin ... bhul hi jate to kaise ehsaas darwaze kee sankal khatkhatate
ReplyDeleteसुन्दर रचना , बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteपरिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteजितना भूलने की कोशिश करो उतनी ही अधिक याद आती है बातें ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteकितना भूलने की कोशिश करो कोई ना कोई याद का पत्थर फिर से हलचल मचा ही जाता है।
ReplyDeleteभूलना चाहती भी क्यों हैं ...
ReplyDeleteयही तो निधि है ....
बहुत ही रचना....
ReplyDeleteसमय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
ReplyDeleteप्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
beauriful
ReplyDelete“होने दें न रोकें भी, यादों की बरसात
ReplyDeleteऐसा मोहक औ कहाँ, झरता हुआ प्रपात”.
सुंदर प्रस्तुति ....
आपको दीप पर्व की सपरिवार सादर शुभकामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteदिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
जहां जहां भी अन्धेरा है, वहाँ प्रकाश फैले इसी आशा के साथ!
chandankrpgcil.blogspot.com
dilkejajbat.blogspot.com
पर कभी आइयेगा| मार्गदर्शन की अपेक्षा है|
dard se bhari rachana wo sab kuch yaad dilati hai jo aksar bhulne ki koshish karta hu.
ReplyDeleteaapko aur aapki smpoorn pariwar ko deepawali ki hardik shubhkamnaye swikar kare.
bhaut hi acchi rachna.... happy diwali...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteभूल पाना बहुत कठिन होता है ..
ReplyDelete.. आपको दीपपर्व की शुभकामनाएं !!
मुझे ऐसा लगता है और मेरा मानना है की कभी भी किसी आइहसास को जो अंतर आत्मा से जुड़ा हो भुलाया नहीं जा सकता चाहे कुछ करलो.... हम बस कुछ देर के लिए उन एहसासों को अनदेखा अनसुना कर सकते हैं मगर कभी हमेशा के लिए भूल नहीं सकते..... बहुत सुंदर रचना दीपावली की हार्दिक शुभकामनयें ....
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