कौन हो तुम .....
ख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई
कौन हो तुम .....
जो रात की चांदनी तले
आँखों की नींदें
चुरा ले जाते हो
और भोर होते ही
सूरज की किरण में
विलीन हो जाते हो .....
कौन हो तुम .....
एक ख्वाब -
अधखुली आँखों के
उलझे से
कुछ सुलझे से
या
स्वाति की बूँद -
जो सागर की
किसी सीपी का
मोती बन
अप्रतिम हो जाते हो .....
कौन हो तुम .....
एक परछाई -
जो हर पल
साथ चलते हो
जब तपन का चक्र
अपने चरम पर
होता है
तब आवरण बन मेरा
मेरी शक्ति हो जाते हो
और ढलते वक्त में
मुझमे ही लीन हो जाते हो .....
कौन हो तुम ....
ख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई ......!!!!!
प्रियंका राठौर
कौन हो तुम ....
ReplyDeleteख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई ......!!!!!
बहुत कठिन प्रश्न है।
सादर
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कभी यहाँ भी पधारें
विवेक जी के मेरे सपने, शाक-आहारी रहो
ReplyDeleteख़्वाब हो या कोई हकीकत, कौन हो तुम कुछ कहो
इश्क नचाये जिसको यारा, साथ उसको मत बहो
सरदार बोले उन्नयन पर, कष्ट बे-पनाह सहो |
आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
आइये --
फिर आ जाइए -
अपने विचारों से अवगत कराइए ||
शुक्रवार चर्चा - मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
सारा दारोमदार प्रियंका इसी प्रश्न के उत्तर पे टिका होता है...सुन्दर...विचारणीय रचना !!
ReplyDeleteकौन हो तुम .....
ReplyDeleteख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई
कौन हो तुम .....बहुत ही खुबसूरत रचना.....
प्यार , स्वप्न, आराध्य
ReplyDeleteकौन हो तुम ....
ReplyDeleteख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई ......!!!!!
सुन्दर... अति सुन्दर अभिव्यक्ति.
पढ़ कर मन भाव विभोर हो गया है.
दीपावली गोवर्धन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा,प्रियंका जी.
'नाम जप' पर अपने विचार व अनुभव प्रस्तुत करके
अनुग्रहित कीजियेगा.
ख़ाब हो तुम या कोई हकीकत बता सको तो बताओ.... या फिर कौन हो तुम जो दिल में समाये जाते हो.... आपकी यह रचना पढ़कर जाने क्यूँ यह दोनों गीत याद आ गये...
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteदीपावली, गोवर्धनपूजा और भातृदूज की शुभकामनाएँ!
कौन हो तुम ....
ReplyDeleteख्वाब हो
या
हकीकत हो
या
एक परछाई ......!!!!!
बहुत सुंदर ..
कौन हो तुम .....
ReplyDeleteएक परछाई -
जो हर पल
साथ चलते हो.
बहुत सुंदर.
सुन्दर, अति सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteअच्छे भावों को अच्छी तरह कलमबद्ध किया है आपने बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपावली व नववर्ष की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं !
सच तो ये है की उसे क्या पता कोण है वो ! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है भावों की ......दिल की गहराइयों से निकलता है जब कोई सवाल कोई अनजान सा चेहरा पहचाना सा लगता है !.............................................................................तब पूछते है कौन हो तुम ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDelete--
कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।
bahut sundar ..abhar
ReplyDeleteकौन हो तुम—यह एक अभिव्यक्ति हज़ार अभिव्यक्तियां लिये हुए
ReplyDeleteसुंदर.
कौन हो तुम ... इसी की खोज में निरंतर जीवन रहता है ... ये मन को गुदगुदाता .... प्रेम के और ले जाता है ... पर कुन है ये चितचोर ... सुन्दर प्रेममयी रचना ...
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