Friday, February 3, 2012

शिला......






एक नारी ......
शापित हो 
शिला बना दी गयी ......
हर दिन 
का इन्तेजार 
कभी कोई राम आयेगा .....
शिला को 
करेगा स्पर्श 
और -
मुक्ति मिल जाएगी ......

सदियाँ बीतती गयीं ,
कितने राम आये ,
कभी स्पर्श हुआ ,
कभी ठोकर लगी ,
लेकिन -
शिला नारी ना हो पाई 
क्योकि -
पवित्र भाव के बिना 
मुक्ति असंभव थी ......

बढ़ते वक्त के साथ 
इन्तेजार अनंत 
होता गया ......
साथ ही कुछ 
बदल रहा था -
शिला के चारों ओर
सोंधापन  बढ़ रहा था 
गीलेपन में दूब
उग आयीं  थीं .......
शिला हरियाली बीच
प्रतिस्थापित सी दिखती थी .....
लोग आने लगे 
उसे पूजने लगे 
वह -
केंद्र बिंदु थी - अब 
आस्था की .....

वक्त बदल रहा था 
फिर भी -
नियति तो नियति 
आस्था ने इन्तेजार का 
तर्पण कर दिया ...............

शिला पूजनीय हो गयी 
लेकिन कभी -
नारी ना हो पायी....................... !!!!!!!



प्रियंका राठौर 

15 comments:

  1. नारी जब अपने वजूद से उदासीन पत्थर बन जाती है, तभी पूजी जाती है

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    1. चंद शब्दों में सटीक प्रतिक्रिया दी है आपने.

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  2. अच्छे क्रम ही पूज्यनीय बनाता है,
    बहुत सुंदर रचना,लाजबाब प्रस्तुती

    आप भी फालो करे तो मुझे खुशी होगी
    पोस्ट पर आइये स्वागत है,.....
    .
    MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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  3. "...शिला पूजनीय हो गयी
    लेकिन कभी -
    नारी ना हो पायी...!!!"

    सही कहा है आपने...

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  4. bahut gahan rachna ....
    sochne par majboor kar rahi hai ....

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  5. उत्तम अभिव्यक्ति.

    सादर.

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  6. you have written a very nice poem
    keep it up we need more poems
    to wake the woman up

    good work

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  7. शिला पूजनीय हो गयी
    लेकिन कभी -
    नारी ना हो पायी...... !!!!!!!
    बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी बहुत गहराई से लिखा है

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  8. बेहद गहन और सच बयाँ करती रचना …………अति सुन्दर्।

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  9. बढ़िया .../// इसे भी देखे :- http://hindi4tech.blogspot.com Follow If U Lyk My BLog////

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  10. सच बयाँ करती रचना ....

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  11. vichaar bina chubhe asar nahi karte or jo karte hain shayad vichar nahin hote...........
    aisa issiliye likha kyunki hum itne badi nahin ki iss yathart ke bare me kuch likh saken.....par aapka vichaar prasansniya hai...

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  12. मार्मिक ... गहन भाव छिपा है इस रचना में ... नारी मन की परतों को उठा के लिखी रचना ...

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  13. waah priyankaa.. sundar vichar. gaharaa kataksh bhi.

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