नहीं चाहती थी
तुम आओ
और फिर से
बेचैनी दे जाओ -
इसलिए -
दिल के दरवाजे पर
बड़ा सा ताला
जड़ दिया .....
खुश थी
वक्त के साथ
खिची लकीरें
स्वतः धूमिल हो जाएँगी
लेकिन -
ये क्या .....
फिर वही बेचैनी
फिर वही उलझन
मै गलत थी .....
तुम्हारे आने के लिए
दरवाजे की तो
जरूरत ही नहीं
तुम तो स्वतः स्फुरित
अहसास हो
जो सुगंध की तरह
रूह में उतर
बेचैन कर जाता है .....
कभी किसी के दर्द
को छुआ
या देखा कभी
किसी घटना को
या कभी
महसूस किया किसी की
खुशियों को
उस पल -
तुम खुद व खुद
समक्ष खड़े नजर आते हो
दूर जाऊ तो उससे
जो प्रत्यक्ष हो
भिग्य हो
पर तुमसे दूर जाऊ कैसे
तुम तो वह अहसास हो
जिसके आने जाने का
कोई पल नहीं ...
जिसके आने जाने का
कोई क्रम नहीं .......
प्रियंका राठौर
पर तुमसे दूर जाऊ कैसे
ReplyDeleteतुम तो वह अहसास हो
जिसके आने जाने का
कोई पल नहीं ...
जिसके आने जाने का
कोई क्रम नहीं .......बहुत सुंदर पंक्तियाँ
बहुत सुंदर रचना, प्रस्तुति अच्छी लगी.,
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
प्रियंका जी,मै तो आपका फालोवर पहले से हूँ आपभी बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,....
प्यार के लिए लाख दरवाज़े बंद कर लो...उसे जब आना है वो आ ही जाएगा...सन्दों से निकल कर ...दरारों से होकर.लाख तख्ती टांग दो प्रवेश निषेध की,ताले लगा लो...वो ...आ जाएगा क्यूंकि तख्ती पे लिखा वो पढता नहीं ,अंधा होता है ना...हरेक ताले की चाबी है उसके पास.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है....प्रियंका!!
यह ऐसी बातें हैं जो लाख ताले जड़ दिए जाएँ तब भी आ ही जाती हैं ... अच्छी रचना
ReplyDeleteवह एहसास जो असंतुलित करे , उससे बातें ही क्यूँ ? आने दो, उसी तरह लौट जायेंगे तुम्हें मौन पाकर
ReplyDeleteबेहद उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteVERY NICE
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteकोमल, मृदुल भावों से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर
तुम तो वह अहसास हो
ReplyDeleteजिसके आने जाने का
कोई पल नहीं ...
जिसके आने जाने का
कोई क्रम नहीं ......भावों से नाजुक शब्द..
interesting...
ReplyDeletehttp://ayodhyaprasad.blogspot.in/
कल 14/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
मीठे एहसास स्वयं अपनी जगह ढूंढ लेते हैं ...
ReplyDeleteतुम तो वह अहसास हो
ReplyDeleteजिसके आने जाने का
कोई पल नहीं ...
अच्छी अभिव्यक्ति..
wah....man ki baat shabdo may dhal di hai apne...
ReplyDeleteis sukhad ahshas kee anubhooti ho gayee hai ab to taala hata hee deejiye
ReplyDeleteप्यार ,उस प्यार की यद् ,उसके न होने पर भी उसका अहसास इनपर कोई बस नहीं ,इन्हें तो आना है और फिर चले जाना है...
ReplyDeleteबहुत ही कोमल,सुन्दर अभिव्यक्ति....
ati uttam ham aap kay sukrgujar hai.
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