Saturday, March 3, 2012

मिलन.....





ना ना 
मत तोड़ना
उस क्षितिज को 
वह तो 
यूँ ही  बस
कह दिया था तुमसे ......


वह दूर क्षितिज 
खामोश ,
शांत ,
निश्छल ,
वही तो पड़ाव है 
हमारे मिलन का ........


कभी देखा है 
तुमने 
धरा और अम्बर को 
मिलते हुए 
लेकिन -
वो मिलते हैं 
उसी क्षितिज पर 
हमारी ही तरह .......


इसलिए -
मत तोड़ना 
उस क्षितिज को 
अभी कई सदियाँ 
और 
कई मिलन बाकी हैं ................!!!!!!




प्रियंका राठौर 

14 comments:

  1. सुन्दर ... आशा हमेशा जीवित रहनी चाहिये , कोई कुछ भी कहे
    ... सादर छुटकी का भईया

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  2. वह दूर क्षितिज
    खामोश ,
    शांत ,
    निश्छल ,
    वही तो पड़ाव है
    हमारे मिलन का ........sunder abhivykti ......

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  3. क्षितिज मेरी आस है , उस भ्रम को रहने देना

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  4. सुंदर भाव अभिव्यक्ति की बेहतरीन रचना,..

    NEW POST...फिर से आई होली...

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  5. सुंदर भाव अभिव्यक्ति की बेहतरीन रचना,..

    NEW POST...फिर से आई होली...

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  6. इसलिए -
    मत तोड़ना
    उस क्षितिज को
    अभी कई सदियाँ
    और
    कई मिलन बाकी हैं ................!!!!!! bilkul sahi kahan apne.... behtreen bhaavo ko shabdo me piroya hai apne....

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  7. कुछ बातें यूँ भी नहीं कहनी चाहियें

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    होलिकोत्सव की शुभकामनाएँ!

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  9. अभी कई सदियाँ
    और
    कई मिलन बाकी हैं ................!!!!!!
    आह ! भरम तो कायम रहना चाहिये

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  10. सही ही तो है जीने के लिए कोई भ्रम का कायम रहना भी ज़रूरी है।

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  11. क्या बात है... सुन्दर अभिव्यक्ति...
    बधाईयां...

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  12. क्षितिज ही तो है पहचान अनंत मिलन की !
    बेहतरीन !

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  13. मिलन का भरम ना टूटे कभी....
    सुन्दर रचना प्रियंका जी..

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  14. बहूत सुंदर ,गहन अभिव्यक्ती है

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