Monday, March 14, 2011

आस उस अनंत इंतजार की...........







"कितनी निर्मम कितनी कठोर
अनंत इंतजार की आस.......
कभी उन उपहारों की आड़ में
तो कभी उन तस्वीरों की ओट में  छिपती सी ,
तो कभी खतों के समंदर में
डूबती उतरती सी,
तो कभी यादों के भवंर  में
उलझाती सुलझाती  सी ,
तो कभी उनके आने की
और फिर बापस  न जाने की , 
अनंत इंतजार की आस ......
फिर भी -
आस उस अनंत इंतजार की..........."





प्रियंका राठौर  

8 comments:

  1. प्रतीक्षा के पल को व्यक्त करता बहुत ही सुंदर भाव...खुबसुरत रचना।

    "यदि आप भी अपना साहित्यीक योगदान "साहित्य प्रेमी संघ" पर देना चाहती है,तो आप हर दम आमंत्रित है....अपने काव्य पुष्पों से इस संघ की बगिया को सुगंधित बनाये....।


    *साहित्य प्रेमी संघ*

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  2. इंतजार।
    इंतजार की परेशानियों और इंतजार की पीडा को अभिव्‍यक्‍त करती सुंदर रचना।
    शुभकामनाएं आपको।

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  3. ye aas hi to hai jo kabhi nahi toot ti ... bahut khoob..

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  4. प्रियंका जी.....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....इसी आस के सहारे ही तो संसार चल रहा है....आस है कल की.....

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  5. आस पर ही तो दुनिया कायम है………॥सुन्दर चित्रण्।

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  6. प्रिय प्रियंका राठौर
    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
    ....... श्रेष्ठ सृजन के लिए मंगलकामना है ।

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  7. कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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