Monday, July 18, 2011

कुछ लम्हें ....



नहीं जानती
क्या सही
क्या गलत
पर कभी कभी
कुछ लम्हें
जिंदगी बन जाते हैं .....
गुथे हुए धागे से
पानी के अंदर बूंदों से
कलम और स्याही से
ना बिन उनके
जिया जाये
ना साथ उनके
जिया जाये
साथ होकर भी
दूर हैं.......
दूर होकर भी
साथ हैं .......
एक दिवास्वप्न की तरह
जीवन और संघर्ष की तरह
खोकर उनको
अस्तित्व जाता है
पर पाकर उनको
अस्तित्व ही डूब जाता है ....
कुछ लम्हें .....
जिंदगी बन जाते हैं ,
क्या सही
क्या गलत
नहीं जानती
पर
कुछ लम्हें
जिंदगी बन जाते हैं ..........



प्रियंका राठौर   

24 comments:

  1. sahi kaha priyanka ji aapne.....kuchh lamhe hote hi alag hai......achhi prastuti.....badhai...

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  2. एक दिवास्वप्न की तरह
    जीवन और संघर्ष की तरह
    खोकर उनको
    अस्तित्व जाता है
    पर पाकर उनको
    अस्तित्व ही डूब जाता है ..

    गहन चिंतन को अभिव्यक्त करती अच्छी रचना

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  3. गहन चिंतन अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार

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  4. प्रिय प्रियंका
    नमस्कार !
    ......श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनायें !
    जय भोलेनाथ

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  5. man kabhi kabhi aise hi ulajh jata hai .sarthak prastuti .aabhar

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  6. बहुत सुन्दर व् शानदार प्रस्तुति.बधाई.

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  7. मन की दुविधा को बहुत सुंदर तरीके से वयक्त किया है आपने...

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  8. सुन्दा..दार्शनिकता से भरपूर रचना...हम सभी के जीवन में ऐसे अनेकों लम्हे होते हैं...जिनके बिना भी जीना मुश्किल और जिनके साथ भि जीना मुश्किल होता है .

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  9. बहुत सुन्दर भाव्।

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  10. क्या सही
    क्या गलत
    नहीं जानती
    पर
    कुछ लम्हें
    जिंदगी बन जाते हैं ..........

    सच कहा आपने … कई बार ऐसे तज़ुर्बात होते हैं कि लगता है यह पल ही ज़िंदगी है

    प्रियंका जी
    सस्नेहाभिवादन !

    आपके ख़ूबसूरत ब्लॉग पर अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलीं … आभार !



    हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  11. आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

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  12. aap sabhi ka bahut bahut dhanybad....

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  13. कुछ लम्हे "जिन्दगी" बन जाते हैं………सही है कुछ लम्हे ऐसे होते हैं जिनसे "जिंदगी" संवर जाती है…॥सुंदर रचना……बधाई।

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  14. बहुत सुन्दरता एवं सच्चाई से मन की दशा का वर्णन है ...
    स्पष्ट सुंदर ..गहन रचना ...

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  15. सही या गले का अपना अपना पहलू है ... पर ये सच है की कुछ लम्हे भुलाए नहीं जा सकते जिंदगी भर ... और ऐसी लम्हे जिंदगी तो बनते ही हैं ..

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  16. jindagi ke yahi lamhe.....yaade ban jati hai....aabhar

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  17. वाकई...कुछ लम्हे जिंदगी बन जाते हैं...

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  18. ना बिन उनके
    जिया जाये
    ना साथ उनके
    जिया जाये
    wah kya baat hai kitna dard chupa rakha hai aapki in sunder panktiyon ne .bahut sunder aur bhavpurn rachna .hardik badhai

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