चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
जनम जनम की बातें थी
पर एक जनम न कट पाया
रूठने मनाने के मंथन में
अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
खोज - खोज कर तुमको
हर चेहरे में जीवन ही रीत गया
ढूँढने और करीब आने की दौड़ में
अपना वजूद ही मिटा बैठे .....
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!
प्रियंका राठौर
जनम जनम की बातें थी
ReplyDeleteपर एक जनम न कट पाया
रूठने मनाने के मंथन में
अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
बहुत ही खूबसूरत ज़ज्बात कहे है आपने....
दिल छू लिया...
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.....
www.kumarkashish.blogspot.com
क्या बात है प्रियंका जी .
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!
यह समर्पण है या मदहोशी ?
एक गाना'गाईड'फिल्म का याद आता है
'क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में
चाहा क्या,क्या मिला बेवफा तेरे प्यार में'
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत सुन्दर रचना, सुन्दर शब्द संयोजन , बधाई
ReplyDeleteयही तो त्रासदी है कि दूसरे के अनुसार चलने मैं ...अधिकतर अपना वजूद खो देते हैं ..हम लोग.अपनी पहचान..अपने सुख...अपनी खुशी ...भूल जाते है .
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !!
जनम जनम की बातें थी
ReplyDeleteपर एक जनम न कट पाया
रूठने मनाने के मंथन में
अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
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बहुत सुन्दर रचना लिीखी हैं आपने तो!
बहुत ही सुंदर रचना....
ReplyDeleteanother brilliant composition!
ReplyDeleteबस दूसरे के अनुसार ही ढलते जाते हैं ..अपना अस्तित्त्व कहीं खो जाता है
ReplyDeletewaha bahut khub.............har shabd bolta huya sa....bahut khub
ReplyDeleteढूँढने और करीब आने की दौड़ में
ReplyDeleteअपना वजूद ही मिटा बैठे .....
सुन्दर अभिव्यक्ति ...!!
चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
ReplyDeleteअपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!
wah wah wah!!!
खूबसूरत ज़ज्बात
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाव्यक्ति क्या सोंच है आपकी बहुत खूब ....प्रियंका