जीवन के इन
पन्नों पर
शब्दों से बलखाते तुम ......
जो बन न पाया
सही क्रम
शब्दों का
हो गए पन्नें
अर्थहीन से .....
होते जो शब्द
सही क्रम में
बन जाती
एक रचना
अर्थपूर्ण , भावमयी ,
कालजयी सी ,
रंगों की
समष्टि सी .....
लेकिन अब भी -
जीवन के इन
पन्नों पर
शब्दों से
बलखाते तुम........
बस -
नहीं है क्रम
आज शब्दों का .........!
प्रियंका राठौर
बिखरे से भावों को कहती सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति...बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteजीवन के इन
ReplyDeleteपन्नों पर
शब्दों से बलखाते तुम ......
........वाह क्या खूब लिखा है प्रियंका जी…………बहुत ही भावपूर्ण्।
बेहतरीन प्रशंसनीय रचना....प्रियंका
ReplyDeletepriyankaa ji,
ReplyDeletekinti gehree baat kahee hai aapne apni is rachna mein, baar baar padhne ka mann kiya mera...
aapka follower ban gaya hoon to ab aataa rahunga....
aap bhee darshan dijiyegaa agar waqt mile to...
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
संगीतमयी शब्द ...बहुत खूब ..
ReplyDeleteआज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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यूँ जिन्दगी के हवाले से, तुमने ये क्या कह दिया |
ReplyDeleteदिल चीर कर निकल गया, खून भी न बहने दिया |
bahut khub...acchi prastuti..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteशब्दों के भावो को बहतरीन तरीके से वयक्त किया है आपने....
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 28 - 07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- खामोशी भी कह देती है सारी बातें -
nice priyanka ji
ReplyDeleteशाम होते होते तुम
बिखर सी जाती हो
और जब मैं तुमको इन शब्दों मे समेटता हूं
तो तुम्हारा एक
अलग ही रूप निकल कर सामने आता है
बस उसी नए रूप को
मैं रात रात भर निहारता रहता हूं
कि तुम इन शब्दों मे सिमट कर
हर बार
मेरी एक मूक कविता बन जाती हो
ये सिलसिला रोज़ चलता है
हर बार तुम बिखरती हो और
ऐसे ही हर बार मैं समेट लेता हूं
तुम्हे अपने शब्दों मे ...अक्षय-मन
शायद इसी लिए कहते हैं जीवन में सही कदमों का उठाना कितना जरूरी है ... शब्दों का क्रम भी तो जीवन का क्रम ही है ... अच्छा लिखा है बहुत ...
ReplyDeleteहोते जो शब्द
ReplyDeleteसही क्रम में
बन जाती
एक रचना
अर्थपूर्ण , भावमयी ,
कालजयी सी ,
bahut khub ............