हर दिन का संघर्ष
खुद का खुद से .....
नोंच नोंच कर
खरोंच खरोंच कर ,
खुद को गढना ,
उस स्थिति में ढालना
जो स्वीकार्य हो
उस ढांचे को
जिसके साथ
जीना है , चलना है .....
लेकिन –
पूरी प्रक्रिया में
रिसते हुए दर्द
और जख्मों को
मुस्कराहट के
मुखौटे में छिपाना
है उससे भी कठिन .....
कभी – कभी
साम्य महसूस होता है –
खुद में और मुक्तिबोध के ‘ब्रह्मराक्षस’ में
योग्यता का चरम ,
अव्यक्त भावनाएं ,
खुद को सांचे में
ढालने का क्रम ,
और उनसे उपजी
कुंठाओं और निराशाओं
का अंबार........
मुक्ति संभव नहीं ........
सिर्फ –
अक्षुण सी
उम्मीद और इन्तजार
ढाँचा बदलेगा
या
खुद ढल जायेंगे
संघर्ष जारी है ,
अनवरत रूप में .................!!!!
प्रियंका राठौर
bhtrin prstutikaran bdhaai ho ..akhtark khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है .
ReplyDeleteलेकिन –
ReplyDeleteपूरी प्रक्रिया में
रिसते हुए दर्द
और जख्मों को
मुस्कराहट के
मुखौटे में छिपाना
है उससे भी कठिन ...ati kathin , per kathinaiyaan unke hi hisse aati hain, jinse ishwar bahut pyaar karta hai
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत खूब प्रियंका जी।
ReplyDelete---
कल 15/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
ढाँचा बदलेगा कभी.... इसकी बस उम्मीद ही जारी है क्यूंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है। समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteसंघर्ष चलता रहे तो राहें भी मिलेंगी!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
बहुत अच्छे विचारों को शब्द प्रदान किए हैं आपने !
ReplyDeleteबहुत अच्छी कृति !
अच्छे विचारों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
जीवन पर्यन्त चलता है संघर्ष ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .बधाई .
ReplyDeleteपूरी प्रक्रिया में
ReplyDeleteरिसते हुए दर्द
और जख्मों को
मुस्कराहट के
मुखौटे में छिपाना
है उससे भी कठिन .....सुन्दर अभी व्यक्ति ! बधाई
sundar prastuti....
ReplyDeleteसंघर्ष चलता रहे ..वो कौन कम बात है
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा प्रियंका जी बेतरीन पोस्ट ...
ReplyDeleteये संघर्ष जीवन भर चलते रहते अहिं अंतरत में ... कभी कोई जीतता है कभी कोई ...
ReplyDeleteआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...
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