Monday, November 14, 2011

संघर्ष ...





हर दिन का संघर्ष
खुद का खुद से .....
नोंच नोंच कर
खरोंच खरोंच कर ,
खुद को गढना ,
उस स्थिति में ढालना
जो स्वीकार्य हो
उस ढांचे को
जिसके साथ
जीना है , चलना है .....
लेकिन –
पूरी प्रक्रिया में
रिसते हुए दर्द
और जख्मों को
मुस्कराहट के
मुखौटे में छिपाना
है उससे भी कठिन .....
कभी – कभी
साम्य महसूस होता है –
खुद में और मुक्तिबोध के ‘ब्रह्मराक्षस’ में
योग्यता का चरम ,
अव्यक्त भावनाएं ,
खुद को सांचे में
ढालने का क्रम ,
और उनसे उपजी
कुंठाओं और निराशाओं
का अंबार........
मुक्ति संभव नहीं ........
सिर्फ –
अक्षुण सी
उम्मीद और इन्तजार
ढाँचा बदलेगा
या
खुद ढल जायेंगे
संघर्ष जारी है ,
अनवरत रूप में .................!!!!


प्रियंका राठौर 


18 comments:

  1. bhtrin prstutikaran bdhaai ho ..akhtark khan akela kota rajsthan

    ReplyDelete
  2. बहुत ही अच्छा लिखा है .

    ReplyDelete
  3. लेकिन –
    पूरी प्रक्रिया में
    रिसते हुए दर्द
    और जख्मों को
    मुस्कराहट के
    मुखौटे में छिपाना
    है उससे भी कठिन ...ati kathin , per kathinaiyaan unke hi hisse aati hain, jinse ishwar bahut pyaar karta hai

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब प्रियंका जी।

    ---

    कल 15/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. ढाँचा बदलेगा कभी.... इसकी बस उम्मीद ही जारी है क्यूंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है। समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

    ReplyDelete
  6. संघर्ष चलता रहे तो राहें भी मिलेंगी!
    सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छे विचारों को शब्द प्रदान किए हैं आपने !
    बहुत अच्छी कृति !

    ReplyDelete
  8. अच्छे विचारों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  9. bahut sundar...

    www.poeticprakash.com

    ReplyDelete
  10. जीवन पर्यन्त चलता है संघर्ष ..अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. सुन्दर प्रस्तुति .बधाई .

    ReplyDelete
  12. पूरी प्रक्रिया में
    रिसते हुए दर्द
    और जख्मों को
    मुस्कराहट के
    मुखौटे में छिपाना
    है उससे भी कठिन .....सुन्दर अभी व्यक्ति ! बधाई

    ReplyDelete
  13. संघर्ष चलता रहे ..वो कौन कम बात है

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर लिखा प्रियंका जी बेतरीन पोस्ट ...

    ReplyDelete
  15. ये संघर्ष जीवन भर चलते रहते अहिं अंतरत में ... कभी कोई जीतता है कभी कोई ...

    ReplyDelete
  16. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...

    ReplyDelete