हल्की - हल्की
सर्द - सर्द सी
ऐसी ही उस रात -
भटकते - भटकते
देखी थी वह
'मधुशाला '
ना जाना , ना समझा तब
बस अनुभव की ही
बात हुयी थी .....
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक
एक लम्बे सफ़र की
चाह हुयी थी ....
सवाल - जबाब के
मकडजाल में
रिश्तों की उलझन
बन आई थी ...
तुम थे
मै थी
और कुछ
अनकही सी नजदीकियां थी ....
मौन सी -
निशब्द सी ,
बातों में
कोई अहसास उभर के आया था .....
भावों की दस्तक ने
राहें कर दी
जुदा - जुदा .....
जीवन की उधेड़बुन में
बदल गया है
सब कुछ कितना ,
शेष रह गयीं हैं -
बस -
वक्त की जंजीर में जकड़ी
स्तब्ध सी ये नजरें
जो तकती हैं
राह आज भी
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक की ...........!!!!!!
प्रियंका राठौर
बेहद गहन भाव समन्वय।
ReplyDeleteवक्त की जंजीर में जकड़ी
ReplyDeleteस्तब्ध सी ये नजरें
जो तकती हैं
राह आज भी
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक की ...........!!!!!!
kya kahun ...
Bahut sundar ,,,,
ReplyDeleteवक्त की जंजीर में जकड़ी
स्तब्ध सी ये नजरें
जो तकती हैं
राह आज भी
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक की ...........!!!!!!
Wah :-)
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , बधाई .
ReplyDeleteवाह! बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
जो तकती हैं
ReplyDeleteराह आज भी
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक की ...........!!!!!!लाजवाब प्रस्तुती.....
खूबसूरत भाव ..
ReplyDeleteबेहतरीन...प्रियंका!!
ReplyDeleteसुंदर रचना!
ReplyDeleteबस -
ReplyDeleteवक्त की जंजीर में जकड़ी
स्तब्ध सी ये नजरें
जो तकती हैं
राह आज भी
'मधुशाला ' से 'मधुशाला ' तक की ...........!!!!!!
वाह प्रियंका जी क्या बात है बहुत ही खूबसूरती से मनोभावों को उकेरा है आपने बहुत खूब ....
समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/11/blog-post_20.html
मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम्हारा ब्लॉग भी है.... वो तो आज देखा ..... बहुत अच्छा लगा... आज इत्मीनान से पूरा ब्लॉग देखूंगा....
ReplyDeleteरिगार्ड्स....
ReplyDelete♥
आदरणीया प्रियंका राठौर जी
सस्नेहाभिवादन !
आपकी रचना ने बांध लिया है …
जीवन की उधेड़बुन में
बदल गया है
सब कुछ कितना ,
शेष रह गयीं हैं -
बस -
वक्त की जंजीर में जकड़ी
स्तब्ध सी ये नजरें
जो तकती हैं
राह आज भी
'मधुशाला' से 'मधुशाला' तक की ...........!!!!!!
जज़बातों से लबरेज़ नज़्म !
दुआएं हैं ,आपकी 'मधुशाला' से 'मधुशाला' तक की राह आप पुनः प्राप्त कर सकें …:)
सुंदर रचना के लिए आभार !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार