Thursday, December 22, 2011

जीवन और म्रत्यु .....






एक हुआ निर्मित घट  ,
मिलाकर एक एक बूँद को 
भरा गया उसमे  
जीवन रूपी जल ......


भरता जा रहा था वह,
चलता जा रहा था वह ,


तभी अचानक -
हुआ कैसा अचम्भा ,
आकर कालचक्र ने 
किया घट में छिद्र .....


एक एक बूँद लगी रिसने 
और हो गया खाली पूरा घट .....


हुआ ख़त्म अस्तित्व घट का 
जल के ना होने से ..
जन्मी और ख़त्म हुयी 
एक और कहानी 
ना जीता कोई , ना कोई हारा
यही अटल शिव है 
प्रकृति का .....


यही शाश्वत सत्य है 
जीवन और म्रत्यु का ................!!!!!!!




प्रियंका राठौर 

15 comments:

  1. पर रिसते घट में न जाने कितने थे अर्थ भरे
    अर्थ हुआ न बेमानी
    मिट्टी में मिलता गया
    मृत्यु वरण करते हुए
    जन्म को कुछ देता गया ...

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  2. शब्दों और ज़ज्बातों का सुंदर अंतर्द्वंद उकेरा ....बहुत बढ़िया

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  3. बहुत ही बढिया।

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  4. बहुत सुन्दर, बधाई

    पधारें मेरे ब्लॉग पर भी, आभारी होऊंगा.

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  5. बेहद गहन और सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  6. सुंदर जज्बातों की बेहतरीन प्रस्तुति,...बढ़िया पोस्ट,....

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  7. बिलकुल सही कहा।

    सादर

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  8. यही शाश्वत सत्य है
    जीवन और म्रत्यु का ................!!!!!!!


    और यही पर इंसान मजबूर भी है....
    सुन्दरता इसे महसूस में करने है...
    खूबसूरत...!

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  9. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना......

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  10. भई वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    बस
    कस्म गोया तेरी खायी न गयी
    इस पर आपकी भी नज़रे-इनायत हो जाये!

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  11. दार्शनिक रचना !!

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  12. अब तो आपकी तारीफ के लिए शब्द ही नहीं बचे यार ... :) बस इतना ही की बहुत ही बढ़िया, जानदार प्रस्तुति :)

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  13. नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर

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  14. bahut khoob
    ekdam sahi tarike se vivran kara aapne jeevan aur mratyu ka

    mere blog par bhi aaiyega
    umeed kara hun aapko pasand aayega
    http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

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