भावनाओं की आग
में जल
शिखर सागर बन
धरा पर फ़ैल गया ......
अब वह -
गहरा हो चला था ....
विस्तृत हो चला था ....
हर आग को
खुद में समां लेने
में सक्षम था ........
झुलसते हुए अंगारों
और शोलों को
खुद की गहराई में
अन्दर तक ले जाना
फिर शांत भाव से
काले हीरे में बदल देना
उसकी पहचान हो गयी .......
लेकिन -
फिर भी दुःख था
की आग उसे
झुलसा न पायेगी
क्योकि उसका
अस्तित्व ही बदल गया था ......
क्यों ये दुःख है
वह मंथन करने लगा
अपने अंतस को
टटोलने लगा ....
एस खोज में
मन के अंदर
कोमल - कोमल यादें
नजर आयीं
साथ ही नजर आई
वह ज्वाला ---- जो
कभी रौशन करती थी
शिखर को ....
साथ था ....
अहसास थे ....
लेकिन - तेज हवा के झोके ने
आग को दिया बल
और शिखर पिघल कर
सागर हो गया ....
ओह ....!!!! हाँ ....!!!!
यही तो सच था ,
तभी -
अस्तित्व बदल जाने पर भी
अहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ......
हाँ -----
प्यार नहीं मरा है ........!!!!
प्यार नहीं मरा है ........!!!!
प्रियंका राठौर
pyaar kabhi nahi marta ... :) ... wonderful thoughts ... keep going ...
ReplyDeleteउम्दा- प्यार नहीं मरा है ......
ReplyDeleteअस्तित्व बदल जाने पर भी
ReplyDeleteअहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ......
बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बहुत सुन्दर................
ReplyDeleteएहसास कभी मरा नहीं करते.......न प्यार के न नफरत के .....
यही तो सच था ,तभी -
ReplyDeleteअस्तित्व बदल जाने पर भी
अहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है .....
वाह वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना
रूप बदलने पर भी प्यार नहीं बदलता ... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeletepyar ki sundar pyari vyakhya ,bdhai .mere blog par aapka svagat hae .
ReplyDeleteतभी -
ReplyDeleteअस्तित्व बदल जाने पर भी
अहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ......बेहद अच्छे भावों को संजोया है .... हाँ प्यार मरा नहीं है
अनुपम भाव संयोजन लिए हुए ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल 04/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... अच्छे लोग मेरा पीछा करते हैं .... ...
सुंदर अभिव्यक्ति ………आभार
ReplyDeleteप्यार का स्वाभाव है..हर हाल में ज़िंदा रहना...
ReplyDeletepyaar to amaratv ka amrat peekar amar rahta hai ....umda abhivyakti.
ReplyDeletebhawnaao se bhra behtareen post...
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut dhanybad....
ReplyDeleteप्यार कभी मरता नहीं है ... समय के अनुसार शायद आंच कम हो जाती है या कभी भड़क जाती है ... हगर एहसास छोड़ती है ये रचना ...
ReplyDeleteहां ......सही हैं ..प्यार कभी नहीं मरता ...जो जीवित रहता हैं ..मन की अथल गहराई में ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ... प्रवाह पूर्ण लेखन ... अभिनन्दन स्वीकार करें ...
ReplyDeleteअस्तित्व बदल जाने पर भी
ReplyDeleteअहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ......
हाँ -----
प्यार नहीं मरा है ........!!!!
...........और मरेगा भी नहीं....!
खूबसूरत....!!
सुंदर शब्दावली प्रेरणादायक कविता ....रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteप्रिय प्रियंका
ReplyDeleteनमस्कार !!
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...!!!
...प्यार कभी नहीं मरता खूबसूरत कविता
तभी -
ReplyDeleteअस्तित्व बदल जाने पर भी
अहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ...मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
भाव -भरी रचना हार्दिक बधाई .........
ReplyDeleteओह ....!!!! हाँ ....!!!!
ReplyDeleteयही तो सच था ,
तभी -
अस्तित्व बदल जाने पर भी
अहसासों में
आग का वजूद
जिन्दा है ......
हाँ -----
प्यार नहीं मरा है ........!!!!
प्यार नहीं मरा है ........!!!!
बहुत ही खुबसूरत एहसास .
हाँ यही प्यार है जो एक एहसास है
आत्मा की तरह निर्मल ...............
सुन्दर सृजन , बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसंगीता आंटी की बात से सहमत हूँ रूप बदल जाने पर भी प्यार नहीं बदलता...बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut sunder
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