स्वयं को जलाकर दूसरों को प्रकाश देने वाला दीपक कहा जाता है। स्वार्थ से दूर रहकर लोकमंगल का शाश्वत अनुष्ठान इस चेतना का मूल मंत्र है। दूसरों की पीड़ा दूर करने के लिए तिल तिल जलना ही जीवन दीप बनाता है। ज्योतित करने वाला आलोक पर्व श्रद्धा का मंगल विधान है। आशा की लौ जगाकर निराशा का तम दूर करता है दीपावली का पर्व। केवल अपने आंगन में ही नहीं वंचितों, दीन-हीनों के घर में भी दीप जलाने से यह पर्व संस्कृति का अंग बनता है। लक्ष्मी के हाथ का अमृत पीने से हमें जीवन की पूर्णता नहीं मिलेगी। लक्ष्मी और सरस्वती में बैर नहीं है। प्रकाश मानव जीवन का पावन प्रतीक है। तमसो मा ज्योतिर्गमय का उद्बोधन उपनिषद का है। इसी से जुड़ा है सत्यमेव जयते। हृदय की करुणा और संवेदना के बिना दु:खियों का दु:ख हटा पाना कठिन है। मंगल विधान के दो भाव है-करुणा और प्रेम।
प्रेम रंजन की ओर मोड़ता है तो करुणा रक्षा की ओर। किसी को अपना मान लेना ही करुणा है। दीप का सार्वभौमिक रूप सर्वकालिक और सनातन है। एक दीप दूसरे दीप के नीचे का अंधकार दूर करता है। ऋग्वेद में वर्णित है कि ऋतु और सत्य पहले उद्भूत हुए। रात्रि और उसके बाद समुद्र संवत्सर आदि उत्पन्न हुए। मैत्रेय उपनिषद में आया है-तमोबाहदमग्र आसीदेवम्। सर्वप्रथम यह सब एकाकी तम था अर्थात् तमोगुणी अंधकार था। कालांतर में इससे रज और सत्व हुए। एकता, समरसता और समानता के संगम से मानवीय मूल्यों का समावेश होता है। दीपों की पंक्तियां जब तक हर घर में नहीं जलेंगी तब तक मानवता में पूर्ण प्रकाश और शांति असंभव है। दीपावली से अनेक महापुरुषों का तादात्म्य होने के कारण इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया। धर्म, कर्म, ज्ञान, अध्यात्म की अलौकिक मंगल कामना दीवाली का पर्याय है। जीवन में ज्योति का तात्पर्य है जागतिक दु:ख से निवृत्ति पाकर परमानंद प्राप्त करना है। अंधकार दु:ख है और प्रकाश सुख। प्रेम में ही इस पर्व की सार्थकता है। विश्वबंधुत्व की आधारशिला है दीप का प्रकाश। यह पर्व केवल ज्ञान की ज्योति, विद्या की किरण फैलाने आता है। दीपावली पर्व से अच्छे कार्य आरंभ किए जाते है। दीपावली सद्कर्म सद्गुण की ओर प्रेरित करती है।
साभार : दैनिक जागरण
अच्छी रचना से अवगत कराया
ReplyDeleteआपको सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ
मेरी पहली लघु कहानी पढ़ने के लिये आप सरोवर पर सादर आमंत्रित हैं
दीवाली की सार्थकता तभी है जब अँधेरे में उजियारा फैलाये जिनके जीवन में अँधियारा है उजाला फैलाये !आपको दीपमाला पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाये.........................
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
ReplyDeleteआप सभी को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ! धन्यवाद !
ReplyDeleteआपको दीपवाली की हार्दिक शुभकानाएं
ReplyDeleteदीवाली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteदेवी महालक्ष्मी कि कृपा से
ReplyDeleteआपके घर में हमेशा...
उमंग और आनंद कि रौनक हो ..
इस पावन मौके पर आपको...
पावन पर्व दीपावली कि हार्दिक..
सुभ कामनाये....
देवी महालक्ष्मी कि कृपा से
ReplyDeleteआपके घर में हमेशा...
उमंग और आनंद कि रौनक हो ..
इस पावन मौके पर आपको...
पावन पर्व दीपावली कि हार्दिक..
सुभ कामनाये....
ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को लोकसंघर्ष परिवार की तरफ हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteVery Nice post.I wwill come on your next post.
ReplyDeleteप्रियंका जी,
ReplyDeleteविचार-प्रवाह सुन्दर है। आपकी भाषा भी एकदम सधी हुई। ऐसे में, आपका यह कथन कि:
"किसी साहित्यिक ग़लती के लिए माफी की हक़दार भी हूँ ..." आपकी विनम्रता को दर्शाता है।
आपको दीपवाली की हार्दिक शुभकानाएं
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