एक चादर है सूनेपन की
साथ होने पर भी
तन्हाई है ..
क्या यही प्यार है ?
शायद -
प्यार और तन्हाई ही
धागा और मोती हैं ..
सब कुछ है ,
पर कुछ भी नहीं है !
एक चादर है सूनेपन की
साथ होने पर भी
ख़ामोशी है ..
क्या यही प्यार है ?
शायद नहीं -
प्यार अंतस से होता है
और जब होता है
रंगों का समां होता है ..
खो जाती है तन्हाई और ख़ामोशी
पर शायद -
एक चादर है सूनेपन की
साथ होने पर भी
तन्हाई है , ख़ामोशी है ..............
प्रियंका राठौर
बहुत अच्छी कविता है। सच्चे प्यार के लिए एक दूसरे के प्रति निष्ठा, समर्पन एवं सच्ची भावना का होना अत्यंत जरुरी है।
ReplyDeleteशानदार प्रयास
साकेत सहाय,
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www.vishwakeanganmehindi.blogspot.com
एक चादर है सूनेपन की
ReplyDeleteसाथ होने पर भी खामोसी है .....
क्या यही प्यार है !
नहीं प्रियंका जी सिर्फ यही प्यार नहीं है !प्यार तो असीम तृप्ति है, प्यार तो मधुमास है, काँटों में भी जो सुख की अनुभूति कराये वह प्यार है, विरह वेदना जुदाई के साथ जिसमे मिलन की भी आस हो वह प्यार है, प्यार त्याग है, प्यार दुसरो के सुख में अपने सुख की आस है !
shayad ye hi pyaar hai ... khoobsurat nazm
ReplyDeletePyar ka swarup hi tanhai, tadap,sanyog,viyog ,milan,asha aur nirash ke sath sammilit hai.Yad rakhiye pyar kabhi bhi suna nahi rahana chahata hai,kahin na kahin uski aag jalti hi rahati hai-yah bat alag hai ki us pavitra jyoti ka anubhav hum nahi kar pate.Jo pyar ek bar man mein rach bas gaya woh bas apna hi ban kar rah jata hai.Aapke udgar dil ke samvedanshil taron ko jhankrit kar gaye.Badhai
ReplyDeleteप्रियंका राठौ्र जी
ReplyDeleteनमस्कार ! पहली बार पहुंचा हूं शायद आपके ब्लॉग तक…
पिछली पोस्ट्स तो नहीं देख पाया , यह रचना पढ़ी , जो अच्छी लगी ।
प्यार अंतस से होता है
मैं आपसे यहां सहमत हूं और कहूंगा … हां, यही प्यार है !!
दुआ है, आपकी ख़ामोशी को लफ़्ज़ और तनहाई को साथ मिले … आमीन !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
प्रियंका जी ,
ReplyDeleteप्यार पर आपकी सुन्दर रचना पढ़ कर प्रसन्नता हुई !
बधाई और शुभकामनाएं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद !
ReplyDeleteप्रियंका जी ,
ReplyDeleteआपकी सुन्दर रचना पढ़ कर प्रसन्नता हुई !
तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है
धन्यवाद