Tuesday, November 23, 2010

तुम बिन ...




निधि जी आपके अनुरोध पर 'तुम बिन' नये कलेवर में ......




तुम बिन सब सूना है ,
ये कमरा और ये गलियारा,
लगता है हर आहट पर,
तुम थे हाँ तुम ही तो थे,
हर पल का साथ याद आता है,
लेकिन फिर....होता है महसूस ,
तुम तो बहुत करीब  हो ,
हमारे अहसासों के बीच हो,
तुम ही तो हो ,
बेबो की किलकारी में,
चिड़ियों की कलरव में,
आसमान की स्याही में,
हवा की ठंडक में ,
हाँ , तुम ही तो हो-
सूरज की पहली धूप में,
घुंघरू की रुनझुन में,
मंदिर के घंटें में ,
और ईश्वर की प्रार्थना में !
तुम तो एहसास हो-
हर दम हर पल साथ हो
फिर क्यों ?
तुम बिन सब सूना है
ये कमरा और ............................!!!



प्रियंका राठौर

16 comments:

  1. प्रियंका राठौर जी
    नमस्कार !
    आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया ,
    शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास.........बहुत सुन्दर

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  2. बेबो की किलकारी में,
    चिड़ियों की कलरव में,
    आसमान की स्याही में,
    हवा की ठंडक में ,
    ....................बहुत सुन्दर अहसास , बधाई

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  3. tum bin ... sach है unke bina sab kuch soona hi तो hota है ... prem ki gahri anubhooti ....

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  4. आँखों में छिपा रखना आहों में बसा लगा रखना.
    तस्वीर तेरी हरदम सीने से लगा रखना.
    किस राह वो मिल जाये, किस वक्त वो आ जाये,
    उम्मीद का दरवाजा हर वक्त खुला रखना.
    आपकी रचना ने मुझे अपनी ग़ज़ल के अशआर याद दिला दिये
    आपकी अछान्दस रचना के साथ लगी तस्वीर ने हमें रोक लिया.
    अब तो जाते हैं बुतकदे से मीर,
    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया.
    शब्बा ख़ैर.

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  5. तुम बिन सब सूना है ,
    ये कमरा और ये गलियारा,
    लगता है हर आहट पर,
    तुम थे हाँ तुम ही तो थे,
    हर पल का साथ याद आता है,

    बहुत सुन्दर ...
    बधाई ...

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  6. uske pas na hone ka ahsas hai hame tabhi to sab suna hai.

    rachna bahut hi sunder hai . aur bhawpoorn bhi
    badhai.

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  7. अच्छी रचना ..........

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  8. ऐसा ही है ... ये सूनापन कभी ख़त्म ही नहीं होता ... :( ... बहुत अच्छा लिखा है ...

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  9. सुन्दर कविता. लेकिन बहुत उदास है.

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  10. प्रियंका जी ,
    आपकी कविता में एहसास की गहरी अनुभूति छुपी है जो पाठक को बेचैन करती है !
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  11. हर जगह होते हुए भी नहीं हो ....भावना का अच्छा प्रस्तुतिकरण

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  12. इस बार मेरे ब्लॉग में ,
    महंगी होती शादिया.............

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  13. तुम तो एहसास हो-
    हर दम हर पल साथ हो
    फिर क्यों ?
    तुम बिन सब सूना है
    ये कमरा और ............................!!!

    बहुत गहरे अहसास से परिपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति...आभार

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  14. हर जगह होते हुए भी नहीं हो......
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  15. really nice and aap ki photo to bahot hi atchhi hai

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  16. aap sabhi ka bhut bhut dhanyvad....avbhar....

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