हो गयी मै तो जोगन रे ,
छोड़ चुनरिया लाज शरम की ,
अपनी सुध - बुध खोयी रे !
अंजन छूटा , छूटी मेरी बिंदिया रे ,
कंगन टूटा , रूठी पाजेब की झंकार रे ,
लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
श्रंगार तड़पन बन जाये रे ,
विरहन की अग्नि में जल - जल ,
हो गयी तेरी परछाई रे !
हैं सांसें अब मद्धम - मद्धम ,
जीवन मेरा छूटा जाये रे ,
ओढ़ ओढ़नी जोग की तेरी ,
हो गयी मै तो जोगन रे !!
प्रियंका राठौर
हैं सांसें अब मद्धम - मद्धम ,
ReplyDeleteजीवन मेरा छूटा जाये रे ,
ओढ़ ओढ़नी जोग की तेरी ,
हो गयी मै तो जोगन रे !!
sundar atisundar badhai
लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
ReplyDeleteश्रंगार तड़पन बन जाये रे ,
विरहन की अग्नि में जल - जल ,
हो गयी तेरी परछाई रे !
बेहद सुंदर प्रस्तुति....
लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
ReplyDeleteश्रंगार तड़पन बन जाये रे ,
waah kya likha hai ... kamaal kar diya ... :)
सुंदर रचना प्रेम व समपर्ण से ओत प्रोत कविता
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद !
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteइस पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/335.html
dhanyvad shastri ji...
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti....badhai aapko
ReplyDeletevery nice Priyanka .........amazing
ReplyDeletethanks to u sister visit my blog
very nice post
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeletevery nice..post keep writting..
ReplyDeleteबहोत खूबसूरत लिखा है प्रियंका जी..
ReplyDeleteAb kya kahu apke likhne ke baare me, bas itna kahunga, kya baat kya baat kya baat
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