सूत्रधार ने रचा जब उसको ,
सोचा नया जीवन संसार बनाएगी ,
अपने आँगन का फूल बन
दुनिया को महकाएगी .....
लेकिन आई बिटिया धरा पर
बनकर परायी अमानत .....
माई कहती जाना है
बिटिया तुझे ससुराल को ,
तू तो है उनकी अमानत ,
सहेजा है बस अपने संसार में !
कन्यादान किया बापू ने
पहुंची बिटिया ससुराल को .....
आई है वह दूजे घर से ,
इसलिए ससुराल में भी वह परायी है ...
जिससे रिश्ता बना जनम जनम का
उससे भी दूजा दर्जा ही पाती है !
मायके में भी है परायी ....
ससुराल में भी है परायी .....
बिटिया क्यों होती परायी है ?
नियति के इस भंवर जाल में ,
बिटिया ही डूबती उतराती है ,
बिटिया देती अपना सब कुछ वार ,
फिर भी परायी अमानत ही रह पाती है ................!!
प्रियंका राठौर
आपकी सुन्दर रचना की चर्चा
ReplyDeleteआज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html
बहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteजिससे रिश्ता बना जनम जनम का
ReplyDeleteउससे भी दूजा दर्जा ही पाती है
अब हालात बदल रहे हैं बल्कि कहें की काफी बदल गए हैं.लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है.हर क्षेत्र यानी ससुराल में भी.हम उन माँ-बाप पर गर्व करते हैं जो लड़कियों को पढ़ा-लिखा कर पहले उन्हें आत्म निर्भर बनाते हैं फिर उनका विवाह करते हैं.
पता नही किसने ऐसा कहा सबसे पहली बार ……………कैसे अपने ही अंग को पराया कह दिया……………हम तो यही जानते हैं हमारे बच्चे चाहे लडका हो या लडकी दोनो ही हमारी दो आँखें हैं।
ReplyDeletebhut hi khubsurat rachna..........dil ko chu gaya.........laazwaab....thnks
ReplyDeleteaccha vyakt kiya hai
ReplyDeleteमेरी बहन की भी शादी अगले महीने होनी तय हुई है..कुछ दिनों पहले अपनी मेरी भाभी इसी सम्बन्ध में बातें कर रही थी...
ReplyDeleteये तो समाज का रिवाज है :(
प्रियंका जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने। हार्दिक शुभकामनाऍं।
ReplyDelete---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteये सच है की समाज की ऐसी रीत है और बिटिय को बचपन से इस बात के लिए तैयार किया जाता है ... सही या गलत तो पता नहीं पर दुखदाई जरूर है बिटिय और माँ बाप दोनों के लिए ... अच्छी रचना है बहुत ...
ReplyDeleteबिटिया देती अपना सब कुछ वार , इसी लिए भी शायद हम सब को है बिटिया से बेहद प्यार । अच्छी अभिव्यक्ति । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeleteबहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletegood one........heart touching
ReplyDeleteमायके में भी है परायी,
ReplyDeleteससुराल में भी है परायी,
बिटिया क्यों होती परायी है घ्
नियति के इस भंवर जाल में,
बिटिया ही डूबती उतराती है
बिटिया की व्यथा को सजीव शब्द प्रदान किये हैं आपने।
...यही तो बिटिया का शाश्वत धर्म भी है।...शुभकामनाएं।
बहुत खूब! प्यारी पोस्ट!
ReplyDeleteप्रियंका जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने।
ReplyDeleteआज की तुम्हारी यह कविता इतनी पसंद आई की बताना मुश्किल है . इतना अच्छा और सच्चा लिखा है की प्रसंशा को शब्द नहीं मिलते . यूँ ही लिखते रहो .............शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति ...सारी ज़िंदगी एक लडकी हर एक के लिए पराई ही रह जाती है ..
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद !
ReplyDeleteएक बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteकाबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
सुन्दर भावाव्यक्ति । साधुवाद ।
Kyon hota hai esa ?
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआज आपकी यह प्रस्तुति यहां भी ...
http://www.parikalpna.com/?p=5228