Monday, December 20, 2010

बिटिया क्यों होती परायी है ?





सूत्रधार ने रचा जब उसको ,
सोचा नया जीवन संसार बनाएगी ,
अपने आँगन का फूल बन
दुनिया को महकाएगी .....
लेकिन आई बिटिया धरा पर
बनकर परायी अमानत .....
माई कहती जाना है
बिटिया तुझे ससुराल को ,
तू तो है उनकी अमानत ,
सहेजा है बस अपने संसार में !
कन्यादान किया बापू ने
पहुंची बिटिया ससुराल को .....
आई है वह दूजे घर से ,
इसलिए ससुराल में भी वह परायी है ...
जिससे रिश्ता बना जनम जनम का
उससे भी दूजा दर्जा ही पाती है !
मायके में भी है परायी ....
ससुराल में भी है परायी .....
बिटिया क्यों होती परायी है ?
नियति के इस भंवर जाल में ,
बिटिया ही डूबती उतराती है ,
बिटिया देती अपना सब कुछ वार ,
फिर भी परायी अमानत ही रह पाती है ................!!





प्रियंका राठौर

22 comments:

  1. आपकी सुन्दर रचना की चर्चा
    आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html

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  2. बहतरीन प्रस्तुति।

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  3. जिससे रिश्ता बना जनम जनम का
    उससे भी दूजा दर्जा ही पाती है
    अब हालात बदल रहे हैं बल्कि कहें की काफी बदल गए हैं.लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है.हर क्षेत्र यानी ससुराल में भी.हम उन माँ-बाप पर गर्व करते हैं जो लड़कियों को पढ़ा-लिखा कर पहले उन्हें आत्म निर्भर बनाते हैं फिर उनका विवाह करते हैं.

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  4. पता नही किसने ऐसा कहा सबसे पहली बार ……………कैसे अपने ही अंग को पराया कह दिया……………हम तो यही जानते हैं हमारे बच्चे चाहे लडका हो या लडकी दोनो ही हमारी दो आँखें हैं।

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  5. bhut hi khubsurat rachna..........dil ko chu gaya.........laazwaab....thnks

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  6. मेरी बहन की भी शादी अगले महीने होनी तय हुई है..कुछ दिनों पहले अपनी मेरी भाभी इसी सम्बन्ध में बातें कर रही थी...
    ये तो समाज का रिवाज है :(

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  7. भावपूर्ण अभिव्यक्ति!

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  8. ये सच है की समाज की ऐसी रीत है और बिटिय को बचपन से इस बात के लिए तैयार किया जाता है ... सही या गलत तो पता नहीं पर दुखदाई जरूर है बिटिय और माँ बाप दोनों के लिए ... अच्छी रचना है बहुत ...

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  9. बिटिया देती अपना सब कुछ वार , इसी लिए भी शायद हम सब को है बिटिया से बेहद प्यार । अच्छी अभिव्यक्ति । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  10. मायके में भी है परायी,
    ससुराल में भी है परायी,
    बिटिया क्यों होती परायी है घ्
    नियति के इस भंवर जाल में,
    बिटिया ही डूबती उतराती है

    बिटिया की व्यथा को सजीव शब्द प्रदान किये हैं आपने।
    ...यही तो बिटिया का शाश्वत धर्म भी है।...शुभकामनाएं।

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  11. बहुत खूब! प्यारी पोस्ट!

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  12. प्रियंका जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने।

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  13. आज की तुम्हारी यह कविता इतनी पसंद आई की बताना मुश्किल है . इतना अच्छा और सच्चा लिखा है की प्रसंशा को शब्द नहीं मिलते . यूँ ही लिखते रहो .............शुभकामनाएँ!!

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  14. सटीक अभिव्यक्ति ...सारी ज़िंदगी एक लडकी हर एक के लिए पराई ही रह जाती है ..

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  15. आप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद !

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  16. एक बेहतरीन रचना ।
    काबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
    बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
    सुन्दर भावाव्यक्ति । साधुवाद ।

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  17. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...


    आज आपकी यह प्रस्‍तुति यहां भी ...

    http://www.parikalpna.com/?p=5228

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