आज जन्मा एक और सत्य
शिवत्व की कोख से !
कुछ सीमित लेकिन व्यापक ,
कुछ कुरूप लेकिन सुन्दरम ,
रंगहीन लेकिन रंगों की समष्टि ,
कुछ नहीं , लेकिन है सभी कुछ ,
कैसा यह आश्चर्य -
एक नहीं दो - दो जीवन !
क्या यह है परम सत्ता
अलौकिका की
है अन्तर्द्वंद -
नहीं है हल
इस मूक प्रश्न का !
शायद -
जन्मा एक और सत्य
शिवत्व की कोख से .........!!
प्रियंका राठौर
हर शब्द जीवंत सा ...सुन्दर शब्दों का संगम इस रचना में ।
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..
ReplyDeletebahut gharai se soch kar likhti hain aap beautiful feeling with beautiful thought...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआपक लेखन कला को प्रणाम है'
- अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"
amanagarwalmarwari.blogspot.com
marwarikavya.blogspot.com
bahut acchi post hai.....
ReplyDeleteवास्तविकता से सराबोर भावाभिव्यक्ति......बधाई।
ReplyDeleteसद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी