Monday, January 17, 2011

एक और सत्य ....





आज जन्मा एक और सत्य
शिवत्व की कोख से !
कुछ सीमित लेकिन व्यापक ,
कुछ कुरूप लेकिन सुन्दरम ,
रंगहीन लेकिन रंगों की समष्टि ,
कुछ नहीं , लेकिन है सभी कुछ ,
कैसा यह आश्चर्य -
एक नहीं दो - दो जीवन !
क्या यह है परम सत्ता
अलौकिका की
है अन्तर्द्वंद  -
नहीं है हल
इस मूक प्रश्न का !
शायद -
जन्मा एक और सत्य
शिवत्व की कोख से .........!!





प्रियंका राठौर





7 comments:

  1. हर शब्‍द जीवंत सा ...सुन्‍दर शब्‍दों का संगम इस रचना में ।

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  2. उत्तम प्रस्तुति...

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  3. bahut gharai se soch kar likhti hain aap beautiful feeling with beautiful thought...

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना.
    आपक लेखन कला को प्रणाम है'
    - अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"
    amanagarwalmarwari.blogspot.com

    marwarikavya.blogspot.com

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  5. वास्तविकता से सराबोर भावाभिव्यक्ति......बधाई।
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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