थकावट भरी शाम के बाद एक प्यारी रात का इन्तेजार .....जिसकी आगोश में आते ही जिन्दगी की ताजगी बरकरार होने लगती है , वरना इस भागते - दौड़ते दिन के बंजर में आराम के बीज कहाँ पल्लवित हो सकते है ......कुछ ऐसी ही थी वह रात .....कमरे के अन्दर स्याही सा अँधेरा और उस अँधेरे बीच कहीं खिड़की के कोने से आती हुयी मध्यम रौशनी ......ईश्वरीय आभा का अहसास करा रही थी . हवा की ठंडक और पास के पेड़ आती रात की रानी की खुशबु अनजाने ही स्वर्गलोक का तिलिस्म बुन रही थी , ऐसे में घड़ी की टिक - टिक के साथ ना जाने कब नींद की उड़ान सपनों तक पंहुचा ले गयी ....तभी अचेतनावस्था में - बर्फ सा ठंडा , जाना पहचाना , मासूम स्पर्श महसूस हुआ .....स्पर्श के साथ ही चेतनावस्था जाग्रत होने लगी ....आह ! शरीर बर्फ सा जमता ही जा रहा था - लेकिन उस मासूम की बंद आँखों में कहीं जीने की तमन्ना हिलोरे ले रही थी , जो उसके चेहरे से साफ़ दिख रही थी .....उस बदहवासी के आलम में कम्बल खोजना रेत की मारीचिका में पानी खोजने जैसा था , एक कमरे से दूसरे कमरे का सफ़र मीलों लम्बा हो गया था . अँधेरा था जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था ....वक्त बीता - कम्बल में सिमटी हुयी उस जान में तरंगों का संचार हुआ ......और फिर एक नयी सुबह शह और मात के खेल के साथ - वही आसमान की लालिमा , वही चिड़ियों की कलरव , वही मछलियों की थिरकन ....और फिर वही भागती - दौडती गुनगुनाती हुयी जिन्दगी .... अंधियारी रात बीत चुकी थी ..................!!!!
प्रियंका राठौर
प्रिय प्रियंका
ReplyDeleteएक नयी सुबह
......... खुशनुमा पल।
क्या खूबसूरती है हर एक लफ़्ज में....:)
ReplyDeletebahut badhiyaa
ReplyDeleteसही कहा, हर अंधेरी रात एक न एक दिन बीत ही जाती है।
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देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
bahut sukoon bhari abhvyakti .badhai .''ye blog achchha laga ''par aapke blog ko liya hai.aap aaye v apne vichron se avgat karayen .aabhar
ReplyDeleteye blog achchha laga se aapke blog ka parichay mila to ruka nahi gaya aur yahan aakar hi dekha ki vastav me sahi parichay karaya hai shikha ji ne aapke blog aur aapki gambheer lekhni ka.aabhar.
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut bahut dhanybad...aabhar
ReplyDeleteकोमल भावों को सुन्दर शब्दों में बड़ी खूबसूरती से बुना है....
ReplyDeleteप्रिय प्रियांका जी
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पे आया, आपकी भावभरी प्रस्तुति को पढ़ा और मंत्रमुग्ध हुआ | आपको ढेर सारी शुभकामना एक नई सुबह के साथ धन्यवाद |
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यहाँ भी आयें, हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com
बहुत सुन्दर जिंदगी चलने का नाम है !
ReplyDeleteजीवन चलने को ही तो कहते हैं.
ReplyDeleteदुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
Very appealing post !
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट....
ReplyDeletebhut sundar priyanka ji
ReplyDeletevikasgarg23.blogspot.com