Friday, July 29, 2011

तेरे नक़्शे कदम पर.......






चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
जनम जनम की बातें थी
पर एक जनम न कट पाया
रूठने मनाने के मंथन में
अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
खोज - खोज कर तुमको
हर चेहरे में जीवन ही रीत गया
ढूँढने और करीब आने की दौड़ में
अपना वजूद ही मिटा बैठे .....
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!




प्रियंका राठौर

12 comments:

  1. जनम जनम की बातें थी
    पर एक जनम न कट पाया
    रूठने मनाने के मंथन में
    अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....

    बहुत ही खूबसूरत ज़ज्बात कहे है आपने....
    दिल छू लिया...

    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.....
    www.kumarkashish.blogspot.com

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  2. क्या बात है प्रियंका जी .
    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.


    क्या थे हम और
    खुद को क्या बना बैठे .....
    चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
    अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!

    यह समर्पण है या मदहोशी ?

    एक गाना'गाईड'फिल्म का याद आता है

    'क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में
    चाहा क्या,क्या मिला बेवफा तेरे प्यार में'

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  3. बहुत सुन्दर रचना, सुन्दर शब्द संयोजन , बधाई

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  4. यही तो त्रासदी है कि दूसरे के अनुसार चलने मैं ...अधिकतर अपना वजूद खो देते हैं ..हम लोग.अपनी पहचान..अपने सुख...अपनी खुशी ...भूल जाते है .
    सुन्दर प्रस्तुति !!

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  5. जनम जनम की बातें थी
    पर एक जनम न कट पाया
    रूठने मनाने के मंथन में
    अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
    --
    बहुत सुन्दर रचना लिीखी हैं आपने तो!

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  6. बहुत ही सुंदर रचना....

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  7. बस दूसरे के अनुसार ही ढलते जाते हैं ..अपना अस्तित्त्व कहीं खो जाता है

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  8. waha bahut khub.............har shabd bolta huya sa....bahut khub

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  9. ढूँढने और करीब आने की दौड़ में
    अपना वजूद ही मिटा बैठे .....
    सुन्दर अभिव्यक्ति ...!!

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  10. चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
    अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!

    wah wah wah!!!

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  11. खूबसूरत ज़ज्बात
    बहुत सुंदर भावाव्यक्ति क्या सोंच है आपकी बहुत खूब ....प्रियंका

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