मुट्ठी की फिसलती रेत सा
जीवन छुटा जाता है ,
बंधने की कोशिश में
बंधन ही बनता जाता है !
दीपक की लौ सा जलता - बुझता
रंगों बीच स्याही सा ,
जीवन बीता जाता है !
माँ की सूनी कोख सा,
विधवा के हाथ सिन्दूर सा,
जीवन रीता जाता है !
बंधने की कोशिश में
बंधन ही बनता जाता है........!!
प्रियंका राठौर
बांधने की कोशिश में
ReplyDeleteबंधन ही बनता जाता है ...सही है,प्रियंका..अक्सर यूँ ही होता है
bahut khub ji wah .............. kya baat hai
ReplyDeletenice post.
ReplyDeleteबंधने की कोशिश में
ReplyDeleteबंधन ही बनता जाता है........!!
वाह! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आपकी,प्रियंका जी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आपका हार्दिक स्वागत है.
मुट्ठी की फिसलती रेत सा
ReplyDeleteजीवन छुटा जाता है ,
बंधने की कोशिश में
बंधन ही बनता जाता है !
badi sahi baat...
sundar...
www.poeticprakash.com
यही है जीवन का सच …………हाथ से फ़िसले उससे पहले संवारना शुरु करना होगा।
ReplyDeleteऔर रिक्त होता जाता है....
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
बंधने की कोशिश में
ReplyDeleteबंधन ही बनता जाता है........!!
...बहुत भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति..
बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteनिराला अंदाज |
बधाई ||
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
pRIYANKA JI,
ReplyDeleteइस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, आभारी होऊंगा .
माँ की सूनी कोख सा,
ReplyDeleteविधवा के हाथ सिन्दूर सा,
जीवन रीता जाता है !
बंधने की कोशिश में
बंधन ही बनता जाता है........!bahut khub.
वाह...बेजोड़ भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteयही है जीवन...!
ReplyDeletejeevan ka saty
ReplyDeletesachchai ko bayaan kar rahi ye kavita...badhiya
ReplyDeleteयह बंधन तो प्यार का बंधन है जन्मो का संगम है सूरज कब दूर गगन से कब दूर बहार चमन से .... :-)
ReplyDeleteमैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पद रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
ReplyDeleteबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
प्रियंका जी,
ReplyDeleteबंधन एक कड़ी है कड़ी से कड़ी जुड़ने पर बंधन बन जाता है...बेहतरीन पोस्ट,,,,बधाई
मेरे नए पोस्ट पर आइये..आज चली कुछ ऐसी बातें, बातों पर हो जाएँ बातें
ममता मयी हैं माँ की बातें, शिक्षा देती गुरु की बातें
अच्छी और बुरी कुछ बातें, है गंभीर बहुत सी बातें
कभी कभी भरमाती बातें, है इतिहास बनाती बातें
युगों युगों तक चलती बातें, कुछ होतीं हैं ऎसी बातें
आपका इंतजार है....