Tuesday, November 9, 2010

मन पर नियंत्रण....

मानव-जीवन के समस्त क्रियाकलाप एवं रचना-संसार का हमारा अपना मन ही मूलाधिष्ठान होता है। मनोनिग्रह का अर्थ है मन की वृत्तियों का निग्रह या मन को बस में करना। हमारे इस मन की चतुर्विध वृत्तियां होती है-मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार। मन के तीन उपादान है-सत्, रज और तम। संपूर्ण भौतिक और मानसिक क्रियाओं में हमारा मन एक रूप में कभी नहीं रहता है। इन्हीं तीनों उपादानों से हम संचालित होते है। सत हमें सद्गुणों की ओर ले जाकर ज्ञान और आनंद देता है। कार्यो में उत्कृष्टता लाता है तथा मन ही संकल्पशक्ति को धैर्य प्रदान करता है। यह दैवीय गुणों की प्रतिष्ठापना में योगदान देता है। जबकि रज का प्रभाव काम का प्राबल्य, क्रोध और लोभ की उत्पत्ति करता है। रजोगुण से पाप की उत्पत्ति होती है।
हर व्यक्ति स्वभाव, आचरण और व्यवहार तथा कार्य में एक सा नहीं होता है। उसके मूल में इन तीन गुणों की मात्राओं के सम्मिलित तथा हेरफेर से भिन्नता परिलक्षित होती है। मन का तीसरा और अंतिम उपादान है-तम। तम जड़ता का तत्व है, निष्क्रियता का प्रतीक है। इसी तम के बाहुल्य से व्यक्ति में अवसाद उत्पन्न होता है। तम हमारे मन को बिखेरकर आलसी और अकर्मण्य बना देता है। सत् हमारे पुण्यों का उत्पादक होता है। रज क्रियाशीलता, काम-वासना और पापों की ओर प्रवृत्त करता है। तम निष्क्रियता को बढ़ाकर न पुण्य का अर्जन करता है और न पाप का। जिस व्यक्ति ने अपने मन को अपने अधीन बना लिया, वह मनोनिग्रह में कदम रखने में सक्षम हो सकता है, क्योंकि कहा गया है कि जिसका मन नियंत्रित है वही मानसिक रूप से मानसिक रोगों से मुक्त रहेगा और मानसिक रोगों से मुक्तिपाने पर शारीरिक पीड़ाओं से भी दूर रहेगा। मनोनिग्रही, व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास पाने का पक्षधर होगा। उसका मन उसके नियंत्रण में होने से भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का वरण करेगा। मन को अपने बस में करने वाला ही संसार को जीतने की साम‌र्थ्य रख सकता है। मनोनिग्रही व्यक्ति दैवीय गुणों से आपूरित होने पर ही समाज का और राष्ट्र का कल्याण कर सकने में समर्थ हो सकता है। साथ ही आध्यात्मिक जगत की शक्ति पाने के लिए सक्षम होता है। मन की चंचल वृत्ति को निग्रहीत करना ही मनोनिग्रह है।




साभार : दैनिक जागरण

5 comments:

  1. चिंतन शील ,ज्ञानवर्धक रचना इतनी ज्ञानवर्धक और चिंतन करने वाली बाते आप कहा से एकत्र करती है ...............

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  2. गहरी आध्यात्मिक चिंतन , आज की सर्वोपरि आवश्यकता ........ सभी इसे समझे तो . सुन्दर पोस्ट . बधाई

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  3. सच में सुंदर अभिव्यक्ति .....अच्छे विचार हैं ...आगे बढ़ते रहिये .शुभकामनायें

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  4. ज्ञानवर्धक और ....अच्छे विचार हैं

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