Thursday, December 2, 2010





अहसासों में बसता है ,
निगाहों से बयाँ होता है ,
निशब्द बंधन है ,
पर रिश्तों से परे है ,
शायद -
यही प्यार है ,
जो दिखाया नहीं जाता ,
दिख जाता है ,
लम्हों में सिमट जाता है ,
रूह की झंकार है ,
जीवन की आस है ,
भावों का गुंथन है ,
हाँ -
यही प्यार है ,
जो शब्दों से परे ,
अभिव्यक्ति है समर्पण रूप ......!!




प्रियंका राठौर




16 comments:

  1. सुन्दर भाव से भरा हुआ काव्य है|मेरी शुभकामनाये...

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  2. जो शब्दों से परे है ...सुन्दर भाव ..

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  3. bhaavpradhaan kavita aapki pasand aayi..

    badhaai !

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  4. यही प्यार है ,
    जो दिखाया नहीं जाता ,

    पर शायद बिन दिखाये भी दिख जाता है

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  5. सुन्दर प्रस्तुति।

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  6. शायद -
    यही प्यार है ,
    जो दिखाया नहीं जाता ,
    दिख जाता है ,
    बहुत प्रभावी पंक्तियाँ ...दिल को छु गयी ..और प्यार को नयी परिभाषा दे गयी
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  7. अच्छी सुंदर रचना
    प्रेम से ओत प्रोत भाव पूर्ण रचना

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  8. बहुत खूब ... कोमल एकसास है प्यार ... शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता ....
    दिल को छू गयी ये नर्म सी रचना .....

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  9. सुकोमल अहसास वाली कविता . आभार .

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  10. क्या चित्रण किया आपने ! लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार.....प्रियंका जी

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  11. इस बार मेरे ब्लॉग में
    SMS की दुनिया ............

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  12. आप तो बहुत सुन्दर लिखती हैं...बधाई.

    'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

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  13. सुंदर रचना के लिए साधुवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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