क्या बांधूं
अपने भावों को
अब शब्दों में ......
समर्पण है
समर्पण है
सब कुछ तुम पर
अर्पण है ....
गूँथ गूँथ कर
भावों को
बेणी बनाती जाती हूँ
मन मंदिर की
प्रतिमा में
तुम पर ही
अर्पित करती जाती हूँ ......
क्या दुनिया
क्या रिश्ते नाते
छोड़ मान सम्मान अब
सब कुछ -
तुम पर वार दिया
मन मंदिर के
इस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
अब रीतापन ही
जीत नजर आता है ....
मीरा से अहसासों में
जीवन श्याममय हो जाता है ..
तेरे ना होने में भी
होने को जीती जाती हूँ
आधे अधूरे जीवन में
तुममे ही पूर्ण हो जाती हूँ ......
क्या बांधूं
अपने भावों को
अब शब्दों में ......
समर्पण है
समर्पण है
सब कुछ तुम पर
अर्पण है ....
प्रियंका राठौर
छोड़ मान सम्मान अब
ReplyDeleteसब कुछ -
तुम पर वार दिया
मन मंदिर के
इस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति
bahut hi sundar piroya
ReplyDeletehai shabdon ko aapne apne
ehsaas main....
badi komal aur aastha
ke sath rachit hui
ye rachnaaa
bahut hi sundar...
क्या बांधूं
ReplyDeleteअपने भावों को
अब शब्दों में ......
समर्पण है
very good creation , lovely heart touching . thanks ji .
बहुत ही बढ़िया भाव ... कलम की धार पैनी होती जा रही है
ReplyDeleteक्या दुनिया
ReplyDeleteक्या रिश्ते नाते
छोड़ मान सम्मान अब
सब कुछ -
तुम पर वार दिया
मन मंदिर के
इस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
गहरी और मार्मिक पंक्तियाँ है ....मन के भाव और समर्पण पूरी तरह अभिव्यक्त हुए हैं ...जीवन किसी का मोहताज नहीं लेकिन समर्पण और श्रद्धा जीवन और मानवीय भावनाओं के मोहताज हैं इनके बिना हम जीवन में अपने ह्रदय में किसी को जगह नहीं दे सकते ....बहुत सुंदर ....आपका आभार
क्या दुनिया
ReplyDeleteक्या रिश्ते नाते
छोड़ मान सम्मान अब
सब कुछ -
तुम पर वार दिया
मन मंदिर के
इस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
adbhut samran bhav
वाह वाह !! बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति है...
ReplyDeleteसादर...
khoobsoorat likha hai..pyaar ke ye ehsaas...
ReplyDeletehttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
खूबसूरत भाव //भक्ति रस का आनन्द आया .
ReplyDeletekya khoobsoorat abhivyaktee hai!
ReplyDeletebahut sunder bhav............
ReplyDeleteक्या दुनिया
ReplyDeleteक्या रिश्ते नाते
छोड़ मान सम्मान अब
सब कुछ -
तुम पर वार दिया
मन मंदिर के
इस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
अब रीतापन ही
जीत नजर आता है ....
bahut sundar prastuti mam...badhai
मन मंदिर के
ReplyDeleteइस आँगन में
सब कुछ -
तुम पर हार दिया
गहरी और मार्मिक पंक्तियाँ है...बहुत बढ़िया रचना है....
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteआपकी इस गीत ने बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ा है मुझ पर .. बहुत खुशी हुई है .. पढकर , एक ही साथ कई भाव आये है मन में. भक्ति, प्रेम, मित्रता .. बहुत सुद्नर लेखन .. बधाई ..
ReplyDeleteआभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html