Friday, August 12, 2011

एक पत्ता .....






मै एक पत्ता हूँ
अपनी साख से गिरा
वक्त के थपेड़ों में ,
दुनिया ने कहा -
वजूद ख़त्म ..........

गिरा जरूर
लेकिन -
कभी बन गया
डूबती चीटी का सहारा
तो कभी
शिव के आगे
बन गया
प्रसाद का पत्तल
तो कभी
किसी अल्हड
की किताब के
पन्नों तले
भाग्य को इठलाया ......

मै एक पत्ता हूँ
अपनी साख से गिरा
फिर भी
नहीं खत्म  है
मेरा वजूद
मै आज भी हूँ
हर दिल के करीब हूँ
और रहूँगा हमेशा
बनकर एक
सम्मानीय याद ...............

हाँ -
मै एक पत्ता हूँ .....



प्रियंका राठौर

20 comments:

  1. bhtrin flsfaa bhr diya hai chnd alfaazon me .akhtar khan akela kota rasjthan

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  2. मै एक पत्ता हूँ
    अपनी साख से गिरा
    फिर भी
    नहीं खत्म है
    मेरा वजूद
    मै आज भी हूँ
    हर दिल के करीब हूँ
    और रहूँगा हमेशा
    बनकर एक
    सम्मानीय याद ...............


    बहुत सही लिखा आपने.

    सादर

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  3. बहुत सुन्दर भवाभिव्यक्ति...आभार..

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  4. पत्ता शाख से टूट कर भी किसी न किसी के लिए सुकूँ बन जाता है ... अच्छी अभिव्यक्ति

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  5. प्रियंका जी,पत्ते के माध्यम से खूबसूरत प्रेरक प्रस्तुति की है आपने.
    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग को भुला न दीजियेगा.स्नेह बनाये रखियेगा.

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  6. जीना इसको कहते हैं ...

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  7. Nice poem .

    एक सुरक्षित समाज का निर्माण ही हम सब भाईयों की ज़िम्मेदारी है
    बहनों की रक्षा से भी कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

    इसके बाद हम यह कहना चाहेंगे कि भारत त्यौहारों का देश है और हरेक त्यौहार की बुनियाद में आपसी प्यार, सद्भावना और सामाजिक सहयोग की भावना ज़रूर मिलेगी। बाद में लोग अपने पैसे का प्रदर्शन शुरू कर देते हैं तो त्यौहार की असल तालीम और उसका असल जज़्बा दब जाता है और आडंबर प्रधान हो जाता है। इसके बावजूद भी ज्ञानियों की नज़र से हक़ीक़त कभी पोशीदा नहीं हो सकती।
    ब्लॉगिंग के माध्यम से हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि मनोरंजन के साथ साथ हक़ीक़त आम लोगों के सामने भी आती रहे ताकि हरेक समुदाय के अच्छे लोग एक साथ और एक राय हो जाएं उन बातों पर जो सभी के दरम्यान साझा हैं।
    इसी के बल पर हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं और इसके लिए हमें किसी से कोई भी युद्ध नहीं करना है। आज भारत हो या विश्व, उसकी बेहतरी किसी युद्ध में नहीं है बल्कि बौद्धिक रूप से जागरूक होने में है।
    हमारी शांति, हमारा विकास और हमारी सुरक्षा आपस में एक दूसरे पर शक करने में नहीं है बल्कि एक दूसरे पर विश्वास करने में है।
    राखी का त्यौहार भाई के प्रति बहन के इसी विश्वास को दर्शाता है।
    भाई को भी अपनी बहन पर विश्वास होता है कि वह भी अपने भाई के विश्वास को भंग करने वाला कोई काम नहीं करेगी।
    यह विश्वास ही हमारी पूंजी है।
    यही विश्वास इंसान को इंसान से और इंसान को ख़ुदा से, ईश्वर से जोड़ता है।
    जो तोड़ता है वह शैतान है। यही उसकी पहचान है। त्यौहारों के रूप को विकृत करना भी इसी का काम है। शैतान दिमाग़ लोग त्यौहारों को आडंबर में इसीलिए बदल देते हैं ताकि सभी लोग आपस में ढंग से जुड़ न पाएं क्योंकि जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उसी दिन ज़मीन से शैतानियत का राज ख़त्म हो जाएगा।
    इसी शैतान से बहनों को ख़तरा होता है और ये राक्षस और शैतान अपने विचार और कर्म से होते हैं लेकिन शक्ल-सूरत से इंसान ही होते हैं।
    राखी का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमारे दरम्यान ऐसे शैतान भी मौजूद हैं जिनसे हमारी बहनों की मर्यादा को ख़तरा है।
    बहनों के लिए एक सुरक्षित समाज का निर्माण ही हम सब भाईयों की असल ज़िम्मेदारी है, हम सभी भाईयों की, हम चाहे किसी भी वर्ग से क्यों न हों ?
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा हमें यही याद दिलाता है।

    रक्षाबंधन के पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...

    देखिये
    हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म

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  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  9. बहुत सुन्दर सारगर्भित,
    रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं तथा बधाई

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  10. नहीं खत्म है
    मेरा वजूद
    मै आज भी हूँ
    हर दिल के करीब हूँ
    बहुत सुन्दर सारगर्भित,रक्षाबंधन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें

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  11. बहुत गहन चितन और भावों से परिपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  12. विचारनीय रचना....

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  13. बहुत ही सुन्दर इस कविता को पढकर मुझे भी अपनी एक रचना याद आ गई...वो भी पत्ते के ऊपर ही थी.....
    वाह आपने बहुत अच्छे से निभाया है शब्दों के साथ इस पत्ते का भी साथ :)

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  14. आशा...स्वाभिमान को दर्शाती एक अच्छी रचना

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  15. कविता का संदेश बहुत अच्छा है। कोई भी वस्तु महत्वहीन नहीं होती।

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  16. भावपूर्ण प्रस्तुति
    सब कुछ बड़ी सहजता से कह दिया आपने....

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  17. सच है हर चीज़ का अपना अपना महत्व है ... कोई वस्तु छोटी नहीं होती ... जीवन का मर्म है ये ...

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