मेरी बातें
मेरे शब्द ......
क्या करूं
जब किसी के
अंतर्मन के
शांत जल में
पत्थर की भांति
गिरते ही
लहरें पैदा कर जाते हैं .......
मेरी बातें
मेरे शब्द .....
क्या करूं
जब किसी के
अहसासों के
शांत समुन्दर में
चाँद की भांति
ज्वार भाटे पैदा कर जाते हैं ......
मेरी बातें
मेरे शब्द ....
ये तो हैं रोशनी
उस दीपक की
जो जाने वाले
को प्रणाम हैं ......
यह मद्धम तो है
पर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
मेरी बातें
मेरे शब्द .....
क्या करूं
जब किसी की
आत्मा को ही
झिंझोर जाते हैं .......
मेरी बातें
मेरे शब्द .......
प्रियंका राठौर
खुशियों का सागर
ReplyDeleteतो नहीं
पर आस की डोर हैं ..
bahut khub .
ये तो हैं रोशनी
ReplyDeleteउस दीपक की
जो जाने वाले
को प्रणाम हैं ......
यह मद्धम तो है
पर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
वाह,इस अभिव्यक्ति का जवाब नहीं !
आभार !
kabhi kabhi shabd lahren paida kar hi dete hai....
ReplyDeleteआपकी बाते आपके शब्द.... दोनों ही बहुत सुन्दर है....
ReplyDeleteयह मद्धम तो है
ReplyDeleteपर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
बहुत सुन्दर..
बहुत सारगर्भित रचना।
ReplyDeleteशब्दों का असर बहुत ज्यादा होता है।
क्या करूं
ReplyDeleteजब किसी के
अंतर्मन के
शांत जल में
पत्थर की भांति
गिरते ही
लहरें पैदा कर जाते हैं ...
pahli bar aapke blog par aaee .....bahut hi bhavpoorna rachna. aapka abhar.
शांत जल में
ReplyDeleteपत्थर की भांति
गिरते ही
bahut gahan bhavon ko abhivyakt kiya hai aapne .aabhar
BHARTIY NARI
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteपर अँधेरे से दूर है .....
ReplyDeleteखुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
अति संवेदनशील प्रभावी सृजन ....... दिल को छूती हुयी .... शुक्रिया जी /
ati uttam////
ReplyDeletebahut barhiya...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशब्दों का खूबसूरत एहसास
ReplyDeleteये अहसास ही बहुत है कि किसी की आत्मा को भी झिंझोर सकते हैं ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
सुन्दर....
ReplyDeleteये तो हैं रोशनी
ReplyDeleteउस दीपक की
जो जाने वाले
को प्रणाम हैं ......
यह मद्धम तो है
पर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
बहुत बढ़िया |
कृपया मेरी भी रचना देखें और ब्लॉग अच्छा लगे तो फोलो करें |
सुनो ऐ सरकार !!
और इस नए ब्लॉग पे भी आयें और फोलो करें |
काव्य का संसार
यह मद्धम तो है
ReplyDeleteपर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
मेरी बातें
मेरे शब्द .....
सुन्दर कविता...
सादर बधाई...
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच
यह मद्धम तो है
ReplyDeleteपर अँधेरे से दूर है .....
खुशियों का सागर
तो नहीं
पर आस की डोर हैं .......
बेहद सुंदर बातें और शब्द भी ।
बहुत ही सुन्दर भावों को अपने में समेटे शानदार कविता.
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