खोज - खोजकर मायनों कोवजूद हीहो गयाअंतिम प्रश्न ......waah! ati sundar...
ah aathi utam
खोज - खोजकर मायनों कोवजूद हीहो गयाअंतिम प्रश्न ........यह बजूद की खोज और हमारा लक्ष्य ...लेकिन कहाँ हो पाता है अंतिम लक्ष्य तय ...गहरे भावों का सम्प्रेषण ....आपका आभार
good
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||आपको बहुत बहुत बधाई ||
chand shabdon me gahri bat kah di.
आप की रचना पढ़ी अच्छी लगी।
अंतिम प्रश्न ....का क्या कभी कोई उत्तर मिलेगा ?????
वजूद की खोज सबसे ज्यादा भटकाने वाली होती है
seemit shabdon mein anginat prashno ko prastut kar diya...behtareen...
बजूद को खोजना ही ज़िंदगी है , बहुत खूब ....
गंभीर सवाल!आशीष--मैंगो शेक!!!
प्रश्नों के उत्तर खोजते खोजते कभी कभी प्रश्न गौण हो जाता है ... पर तलाश जारी रहती है .. जिसकी जरूरत नहीं होती ...
सुन्दर कविता प्रियंका बधाई और शुभकामनाएं
खोज - खोज
ReplyDeleteकर मायनों को
वजूद ही
हो गया
अंतिम प्रश्न ......waah! ati sundar...
ah aathi utam
ReplyDeleteखोज - खोज
ReplyDeleteकर मायनों को
वजूद ही
हो गया
अंतिम प्रश्न ........
यह बजूद की खोज और हमारा लक्ष्य ...लेकिन कहाँ हो पाता है अंतिम लक्ष्य तय ...गहरे भावों का सम्प्रेषण ....आपका आभार
good
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई ||
chand shabdon me gahri bat kah di.
ReplyDeleteआप की रचना पढ़ी अच्छी लगी।
ReplyDeleteअंतिम प्रश्न ....का क्या कभी कोई उत्तर मिलेगा ?????
ReplyDeleteवजूद की खोज सबसे ज्यादा भटकाने वाली होती है
ReplyDeleteseemit shabdon mein anginat prashno ko prastut kar diya...
ReplyDeletebehtareen...
बजूद को खोजना ही ज़िंदगी है , बहुत खूब ....
ReplyDeleteगंभीर सवाल!
ReplyDeleteआशीष
--
मैंगो शेक!!!
प्रश्नों के उत्तर खोजते खोजते कभी कभी प्रश्न गौण हो जाता है ... पर तलाश जारी रहती है .. जिसकी जरूरत नहीं होती ...
ReplyDeleteसुन्दर कविता प्रियंका बधाई और शुभकामनाएं
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