ना कर इतना
की झुक जाये
सर मेरा
तेरे सजदे के लिए ........
बामुश्किल -
सुलझ पाई थी
उन लम्हों से
ना कर इतना
की फिर
एक बार
वही कहानी दोहरा जाये ........
ठहराव में तेरे
डूब रहा है
अब ये मन इतना
कहीं टूट ना जाये
स्व मेरा
तुझमे लीन होने के लिए ........
ना कर इतना
ना कर इतना
की झुक जाये
सर मेरा
अब -
तेरे सजदे के लिए ..................
प्रियंका राठौर