Monday, September 19, 2011

बीते वक्त के तम में ......




गया था खो , कुछ
बीते वक्त के तम में .....
यहाँ ढूँढा , वहां ढूँढा
चारो ओर ढूंढ का शोर ....
हुयी विस्मृत -
खोज ही खोज  में
क्या खोया था
बीते वक्त के तम में ....
युगों - युगों के बढ़ते क्रम में
थापों का झंकृत संगीत
संसार इंद्रधनुषी रंगों का
सिमट गया
अनुभव स्पर्शित बेल में ....
हुयी स्म्रति -
जो खोया था तम में
समक्ष खड़ा  है
एक नवीन रूप में
शायद -
मिल गया वह सब कुछ
गया था खो , जो
बीते वक्त के तम में ...... !!!!



प्रियंका राठौर

14 comments:

  1. सशक्त अभिव्यक्ति

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  2. मिल गया वह सब कुछ
    गया था खो , जो
    बीते वक्त के तम में ...... !!!!
    सुंदर पंक्तियाँ.....बात कहने का अंदाज़ निराला है|

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  3. बहुत सुन्दर कविता और चित्र कविता के अनुकूल है ...

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  4. apki khoj ishvr jld puri kre yhi duaa hai bhtrin rchnaa ke liyen bdhaai .akhtar khan akela kota rajsthan

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  5. बीते वक़्त के तम से जो मिल जाए.... वही सही विरासत है

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  6. मिल गया वह सब कुछ
    गया था खो , जो
    बीते वक्त के तम में ...... !!!!

    बहुत सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति..

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  7. जो खोया था तम में
    समक्ष खड़ा है
    एक नवीन रूप में
    शायद -
    मिल गया वह सब कुछ
    गया था खो , जो
    बीते वक्त के तम में ...... !!!!

    आपकी प्रस्तुति का खूबसूरत अंदाज है.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  8. बहुत ही सुन्दर....

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  9. ढूंढते रहना....बीते वक्त में जो कुछ मिल जाए वो कीमती होगा.

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  10. बहुत सुन्दर और प्रभावी रचना .....

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  11. युगों - युगों के बढ़ते क्रम में
    थापों का झंकृत संगीत
    संसार इंद्रधनुषी रंगों का
    सिमट गया
    अनुभव स्पर्शित बेल में ....
    हुयी स्म्रति -
    भावों की सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई..........

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  12. बीते वक्त के तम में जो मिलजाए वही असली विरासत है एक दम ठीक कहा है। रश्मि जी ने ....प्रभावी रचना .. समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  13. सुन्दर अभिव्यक्ति!!

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