रिमझिम बारिश की बूंदें ,
तुम्हारी बातों की तरह ,
मन को भिगो रही हैं !
बिजली की चमक में ,
कही तुम्हारी -
हंसी की मिठास है !
हवा की ठंडक में ,
कही तुम्हारे -
अनछुए स्पर्श का आभास है !
रिमझिम बारिश की बूंदें ,
तुम्हारी यादों की तरह ,
तन को भिगो रही है !
बादलों की गड़गड़ाहट में ,
कही तुम्हारे-
होने का अहसास है !
पत्तों के कम्पन में ,
कही तुम्हारी -
बाँहों में सिमटने की आस है !
रिमझिम बारिश की बूंदें ,
तुम्हारी बातों की तरह .........!!
प्रियंका राठौर
रिमझिम बारिश की बूंदें ,
ReplyDeleteतुम्हारी बातों की तरह ........
-वाह!! बहुत सुन्दर..