'विचार प्रवाह'
Friday, October 22, 2010
बड़ी दूर
बड़ी दूर क्या कुछ भी नहीं ?
नहीं !
किरण है , आस है , पल है , क्षण है ,
खेल है , इन्ही शब्दों का !
बड़ी दूर -
बस यही है ,
यही है ,
यही है .....................!!
प्रियंका राठौर
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