अब तो दर्शन देदे कान्हा
गयी हार मै पंथ निहार के !
ढूंढा तुझको वन उपवन में ,
ताल सरोवर , घर - आंगन में ,
पूछ - पूछ कर हर आहट से ,
भाग रही , पीछे परछाई के !
अब तो दर्शन देदे कान्हा .......
अंखियों में है अश्रु धरा ,
सांसों में है प्रीत की ज्वाला ,
तन है गीला , मन भी गीला ,
अधरों पर बस तेरा नाम रे !
अब तो दर्शन देदे कान्हा
गयी हार मै पंथ निहार के !!
प्रियंका राठौर
अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया......
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण!
आशीष
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पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
सुंदर रचना शब्दों का उचित चयन कविता की सार्थकता को बढाता है ! इसे भी पड़े .......कहना तो पड़ेगा
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteaabhaar
bahut sundar rachana
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