शब्द नहीं कहने को ,
आत्मा अकुलाई है !
क्या भूलूं क्या याद करूं ,
सब मन की गहराई है !
टूट - टूट कर साँस बढ रही
फिर भी -
आस की डोर
ना , डगमगाई है !
अंत नहीं जीवन का ,
सब बंधन है -
सब बंधन है !
कोमल - कोमल सुख का बंधन ,
तृषित - तृषित दुःख का बंधन ,
पार निकल जाने को ,
आत्मा छटपटाई है !
शब्द नहीं कहने को .............
प्रियंका राठौर
अच्छा लिखा है प्रियंका........
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कोमल - कोमल सुख का बंधन ,
ReplyDeleteतृषित - तृषित दुःख का बंधन ,
इन शब्दों में तो आत्मा उतर आयी है.
truly brilliant..
ReplyDeletekeep writing.......all the best
आत्मा छटपटाई है !
ReplyDeleteशब्द नहीं कहने को .....
बहुत ही सुन्दर भावमय प्रस्तुति ।
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
BHAVPRABAL RACHNA ....
ReplyDeletebahut sunder ....
इसी छटपटाहट का नाम जिंदगी है.सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteटूट - टूट कर साँस बढ रही
ReplyDeleteफिर भी -
आस की डोर
ना , डगमगाई है !
बेहतरीन आशाओं से सजी संवरी प्रेरक प्रस्तुति ....
क्या भूलूं क्या याद करूं ,
ReplyDeleteसब मन की गहराई है !
जीवन का यथार्थ और न भूलने का सच!!
अंतर्मन के भावों को उकेरती बेहतरीन प्रस्तुति!!
आभार!
bahut khub...
ReplyDeleteकोमल - कोमल सुख का बंधन ,
ReplyDeleteतृषित - तृषित दुःख का बंधन ,
पार निकल जाने को ,
आत्मा छटपटाई है !
शब्द नहीं कहने को .............
बहुत सुन्दर प्रियंका जी.
कमाल की प्रस्तुति है आपकी.
मेरे ब्लॉग को न भुलाईयेगा,प्लीज.
वाकई प्रियंका बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसच में शब्द नहीं कहने को
शब्द नहीं कहने को ,
ReplyDeleteआत्मा अकुलाई है !
क्या भूलूं क्या याद करूं ,
सब मन की गहराई है !
बहुत सुन्दर!
bahut sundar...very nice...
ReplyDeleteकोमल - कोमल सुख का बंधन ,
ReplyDeleteतृषित - तृषित दुःख का बंधन ,
पार निकल जाने को ,
आत्मा छटपटाई है !
....बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
शब्द नहीं कहने को ,
ReplyDeleteआत्मा अकुलाई है !
क्या भूलूं क्या याद करूं ,
सब मन की गहराई है !
कमाल की प्रस्तुति.सुंदर अभिव्यक्ति.
बधाई.
कोमल सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteक्या भूलूं क्या याद करूं ,
ReplyDeleteसब मन की गहराई है !
भावमय प्रस्तुति ।