'विचार प्रवाह'
Friday, October 22, 2010
चाँद पे दाग है ....
चाँद पे दाग है .....
सुहागिन का श्रंगार है ,
प्रियतम का इंतजार है ,
माँ का लाल है ,
फिर भी -
चाँद पे दाग है .....
आसमान का ताज है ,
अँधेरे की आस है ,
चकोर की प्यास है ,
फिर भी -
चाँद पे दाग है .....!!
प्रियंका राठौर
3 comments:
Pallavi saxena
October 22, 2010 at 7:41 PM
good thougts..keep writting...
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संजय भास्कर
October 22, 2010 at 10:04 PM
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
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RAJNISH PARIHAR
October 26, 2010 at 7:40 AM
bahut badhiya.....
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good thougts..keep writting...
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut badhiya.....
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