एक रीतापन है ,
साँझ की ओट में छिपता सा ,
अंधकार से बचता सा ,
झूठी रुनझुन ,
झूठी जगमग ,
सबमे खोता सा ,
एक रीतापन है -
स्याही के बीच ,
दागों से बचता सा ,
कलम की ओट में छिपता सा ,
गहराई और यादों के बीच ,
एक रीतापन है .......!
(रीतापन - खालीपन )
प्रियंका राठौर
The loneliness aptly defined..........good one
ReplyDeleteअब अकेलेपन में मजा आता है...पहले खलता था..
ReplyDeleteअच्छी कविता है..
ReplyDeletethanks.....
ReplyDeleteआपके लिखे कुछ अंश पढ़े, छोटे छोटे टुकड़े मौलिकता लिए हुए हैं... शब्द संधान कि काबिलियत भी नज़र आई.. लिखिए... मेरी शुभकामनाएं
ReplyDeleteयह रीतापन भी नए मायने दे देता है...ज़िंदगी को...कभी-कभी
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई...
reetapan daagon se bhi kahan bach pata hai.
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