Thursday, October 14, 2010

आदमी







आदमी करता पैदा ,
आदमी होने का भ्रम ,
आदमी करता है अब भी ,
आदमी ढोने का श्रम ,
आदमी तो बढ रहे हैं ,
आदमी फिर भी हैं  कम ,
कब शुरु होगा यहाँ पर ,
आदमी बनने का क्रम .....!!





प्रियंका राठौर

2 comments:

  1. आदमी तो बढ रहे हैं ,
    आदमी फिर भी हैं कम ,
    जी हाँ आदमी तो आदमियत से बनते हैं शायद वही खोता जा रहा है.
    सुन्दर रचना

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  2. दिल को छू लेने वाली रचना, बधाई

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