कोई हो गया गुम,
अब तक तो था ,
लेकिन अचानक -
आया तूफान ,
स्तब्धता को चीर देने वाला ,
काले घने मेघों ने भी ,
बहाए आंसू,
और कोई हो गया गुम !
ठगा सा रह गया ,
कोई उपाय भी -
नजर ना आया ,
फिर सोचा -
किसी के जाने से ,
नियति चक्र तो नहीं रुकता ,
एक गया तो दूसरा आया ,
वह रूप नहीं तो ,
दूसरा रूप सही ,
एक के बाद एक ,
ना जाने कितने स्वरूप !
और -
कोई हो गया गुम !!
प्रियंका राठौर
अच्छी रचना , बधाई !
ReplyDelete..गहरी बात आसानी से कह दी आपने
ReplyDeleteगहन चिंतन और अकेलापन लिए एक रचना....
ReplyDeleteफिर सोचा -
ReplyDeleteकिसी के जाने से ,
नियति चक्र तो नहीं रुकता ,
एक गया तो दूसरा आया ,
यही जीवन का सत्य है ..वक्त किसी के लिए नहीं रूकता ..