Friday, October 29, 2010

कोई हो गया गुम....





कोई हो गया गुम,
अब तक तो था ,
लेकिन अचानक -
आया तूफान ,
स्तब्धता को चीर देने वाला ,
काले घने मेघों ने भी ,
बहाए आंसू,
और कोई हो गया गुम !
ठगा सा रह गया ,
कोई उपाय भी -
नजर ना आया ,
फिर सोचा -
किसी के जाने से ,
नियति चक्र तो नहीं रुकता ,
एक गया तो दूसरा आया ,
वह रूप नहीं तो ,
दूसरा रूप सही ,
एक के बाद एक ,
ना जाने कितने स्वरूप !
और -
कोई हो गया गुम !!





प्रियंका राठौर

4 comments:

  1. अच्छी रचना , बधाई !

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  2. ..गहरी बात आसानी से कह दी आपने

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  3. गहन चिंतन और अकेलापन लिए एक रचना....

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  4. फिर सोचा -
    किसी के जाने से ,
    नियति चक्र तो नहीं रुकता ,
    एक गया तो दूसरा आया ,

    यही जीवन का सत्य है ..वक्त किसी के लिए नहीं रूकता ..

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