Monday, October 18, 2010

दस्तक






नहीं जानती जीवन में तेरे ,
किस मोड़ तक दस्तक दे पाती हूँ ,
पर अपने अन्दर कही दूर तक ,
तेरा अक्स ही देख पाती हूँ !!

तेरे ना होने पर भी ,
तेरे होने की आहट सुन पाती हूँ !!
सब बंधन है ,भावों का बंधन है ,
यही कह ,खुद को समझा पाती हूँ !!

रिश्तों की मर्यादा बीच ,
खुद में ही चिंगारी जला पाती हूँ !!
पर अपने अंदर कहीं दूर तक ,
तेरे लौटते पैरों के निशां ,
ही देख पाती हूँ !!

नहीं जानती जीवन में तेरे,
किस मोड़ तक दस्तक दे पाती हूँ !!







प्रियंका राठौर

3 comments:

  1. आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

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  2. wowwww...even i should se awsome ...aap ka es blog ka shayraana andaz mere dil ko ander tak chugaya priyanka...weldone keep writting and keep reading...ho sake tho kabhi mere logs par bhi aayega main shayree tho nahi karti zara bhi magar fir bhi maine apne kuch experieces likhe hain shayedd app ko passand aaye....http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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